बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही राज्य की नई 18वीं विधानसभा के बारे में एक अहम आंकड़ा सामने आया है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और इलेक्शन वॉच के अध्ययन के अनुसार, इस बार चुने गए कुल 243 विधायकों में से 130 यानी 53% के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 102 विधायक, यानी लगभग 42% पर हत्या, हत्या का प्रयास, महिलाओं के प्रति अपराध और अपहरण जैसे गंभीर आरोपों वाले मामले चल रहे हैं.
पिछली विधानसभा की तुलना में इस बार दागी विधायकों की संख्या में कमी जरूर आई है, लेकिन तस्वीर अब भी चिंताजनक है. पिछली विधानसभा में 243 में से 163 विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले थे, जो कुल का 68% था. इनमें से 123 यानी 51% पर गंभीर अपराधों के मामले थे.
यह भी पढ़ें: तेजस्वी को बहुत चुभेगी 31 सीटों की हार, 2020 में 10 हजार वोट के मार्जिन से मिली थी जीत
वर्तमान विधानसभा में हत्या के आरोप झेलने वाले विधायकों में बीजेपी और जेडीयू के तीन-तीन विधायक शामिल हैं. हत्या के प्रयास (अटेम्प्ट टू मर्डर) के मामलों में बीजेपी और जेडीयू के सात-सात विधायक हैं, जबकि एलजेपी और राजद के दो-दो विधायकों पर ऐसे मामले दर्ज हैं. कम्युनिस्ट पार्टी के एक विधायक पर भी ऐसा ही आरोप है.
एलजेपी के एक विधायक पर महिला के खिलाफ अपराध का मामला
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में बीजेपी और राजद के तीन-तीन, जबकि जेडीयू के दो विधायकों पर कानूनी मुकदमे चल रहे हैं. LJP (RV) के 19 विधायकों में से एक पर महिलाओं के खिलाफ अपराध का मामला दर्ज है.
यह भी पढ़ें: तेजस्वी यादव की RJD को BJP और JDU से ज्यादा वोट शेयर मिला, लेकिन सीटें कम जानिए क्यों
आरजेडी के 56 फीसदी विधायक पर गंभीर अपराध के मामले
गंभीर अपराधों के आरोपियों की बात करें तो सबसे अधिक प्रतिशत राजद में है, 25 में से 14 विधायक, यानी 56%. बीजेपी के 89 में से 43 (48%), जेडीयू के 85 में से 23 (27%), और लोजपा के 19 में से 10 (53%) विधायक गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं.
CPI(ML), CPM, IIP और BSP के एक-एक विधायक हैं, और ये सभी गंभीर अपराधों के आरोपी हैं. एमआईएम के पांच में से चार (80%) और कांग्रेस के 6 में से 3 (50%) विधायकों पर भी गंभीर अपराध के केस दर्ज हैं.
संजय शर्मा