बिहार में बगहा के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के बीच बसा मदनपुर देवी मंदिर श्रद्धा और रहस्य का अद्भुत संगम है. यहां मां भगवती पिंडी रूप में विराजमान हैं. धार्मिक मान्यता है कि यहां हर रात माता के दर्शन को उनका वाहन, एक बाघ, मंदिर में आता है. इसी कारण रात में किसी को यहां रुकने की अनुमति नहीं है.
राजा की जिद और देवी का प्रकट होना
किंवदंती है कि राजा मदन सिंह के समय रहसु गुरु नामक साधु बाघों के गले में सांप बांधकर धान की दंवरी करते थे. जब राजा ने यह देखा तो उन्होंने देवी को बुलाने की जिद कर दी. साधु ने चेताया कि इससे उनका राज-पाट खतरे में पड़ जाएगा, लेकिन राजा नहीं माने.
मान्यता है कि साधु के आह्वान पर मां भगवती असम के कामाख्या से थावे होते हुए मदनपुर पहुंचीं. देवी के प्रकट होते ही साधु का सिर फट गया और राजा उनके तेज को सहन न कर पाए. वे गिर पड़े और उनका राज-पाट समाप्त हो गया. तब से माता पिंडी रूप में प्रतिष्ठित हैं.
गाय और बाघ से शुरू हुई पूजा
कहते हैं कि हरिचरण नामक ग्रामीण ने देखा कि एक गाय प्रतिदिन पिंडी पर दूध चढ़ाती है. उसी दिन से वहां पूजा शुरू हुई. देवी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी रक्षा के लिए एक बाघ भी प्रदान किया, जो आज तक प्रतिदिन माता के दर्शन के लिए मंदिर आता है.
भव्य मंदिर और श्रद्धालुओं का तांता
नेपाल और उत्तर प्रदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आने लगे. अब यहां भव्य मंदिर का निर्माण हो चुका है. विवाह, मुंडन और अन्य धार्मिक संस्कार भी यहीं संपन्न होते हैं. बलि की परंपरा भी अब तक जारी है.
नवरात्र में मंदिर का रंग
नवरात्र के दौरान मंदिर में विशाल मेला लगता है. मंदिर को भव्य ढंग से सजाया जाता है और लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह स्थल बिहार, यूपी और नेपाल के श्रद्धालुओं के लिए एक अनोखा धार्मिक केंद्र बन चुका है.
अभिषेक पाण्डेय