इंडियन ऑटो सेक्टर के लिए बीता अक्टूबर अद्भुत रहा है. गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST 2.0) में हुए सुधार के बाद वाहनों की कीमत में ऐसी गिरावट आई कि लोग शोरूम की ओर दौड़ पड़े. इस दौरा फेस्टिव सीजन ने वाहनों की बिक्री जबरदस्त हवा दी. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन्स (FADA) की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2025 में भारत में कुल वाहन रजिस्ट्रेशन 40.24 लाख यूनिट तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40.5 प्रतिशत ज्यादा है. यह अब तक का सबसे ऊंचा मासिक आंकड़ा है, जिसने दोपहिया और पैसेंजर व्हीकल दोनों ही सेगमेंट में इतिहास रच दिया है.
दशहरा से दिवाली तक 42 दिनों की फेस्टिव विंडो ने बिक्री को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया. सेगमेंट के अनुसार, पैसेंजर व्हीकल्स में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 5.57 लाख यूनिट तक पहुंच गया. यानी लोगों ने इस दौरान जमकर कार खरीदारी की. वहीं दोपहिया वाहनों ने तो 51.8 प्रतिशत की विस्फोटक ग्रोथ के साथ 31.5 लाख यूनिट्स की ऐतिहासिक बिक्री दर्ज की.
कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट 17.7 प्रतिशत बढ़ा, ट्रैक्टरों में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि तीन-पहिया वाहनों की बिक्री 5.4 प्रतिशत ऊपर रही. हालांकि, कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट सेगमेंट को 30.5 प्रतिशत की गिरावट का सामना करना पड़ा.
FADA के अध्यक्ष सी. एस. विग्नेश्वर ने कहा, “अक्टूबर 2025 भारत के ऑटो रिटेल इतिहास का एक मील का पत्थर बना, जहां टैक्स सुधारों और त्योहारों ने मिलकर रिकॉर्डतोड़ नतीजे दिए.” उन्होंने कहा कि 40.5 प्रतिशत की जबरदस्त ग्रोथ ने ग्राहकों के विश्वास और आर्थिक विकास, दोनों की मजबूती को साबित किया है.
अक्टूबर की इस सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारक रहा GST 2.0 का लागू होना. सरकार द्वारा एंट्री-लेवल टू-व्हीलर और स्मॉल कारों पर जीएसटी दरों में कमी से वाहन खरीदना पहले से कहीं अधिक किफायती हो गया. इस टैक्स कटौती ने खासकर उन फस्ट टाइम बायर्स को आकर्षित किया जो बजट के चलते वाहन खरीदने से कतरा रहे थें. यह सुधार फेस्टिव सीजन से ठीक पहले लागू हुआ और उपभोक्ताओं के लिए ‘सेंटिमेंट टू एक्शन’ का सीधा मौका बन गया.
FADA की रिपोर्ट के अनुसार, “GST 2.0 का प्रभाव ट्रांसफॉर्मेशनल साबित हुआ. छोटी कारों पर कम जीएसटी ने हर वर्ग को वाहन खरीदारी का मौका दिया. यह बदलाव ऑटो रिटेल ग्रोथ को लंबे समय तक स्थिरता देने वाला साबित होगा.” इस नए टैक्स स्ट्रक्चर को “सिंपलर टैक्स, स्ट्रांगर ग्रोथ” के कॉन्सेप्ट पर बनाया गया है, जो आने वाले सालों में मिडल-क्लास कंजम्प्शन को और बढ़ावा देने वाला है.
सितंबर में GST ट्रांजिशन की वजह से बाजार थोड़ा धीमा रहा था, लेकिन अक्टूबर ने जैसे रफ्तार की सारी कसर पूरी कर दी. FADA ने इसे एक ‘हर्डल रेस’ करार दिया, जहां पेंट-अप डिमांड, फेस्टिव मूड और टैक्स-कट एक्साइटमेंट ने एक-दूसरे को बारी-बारी से आगे बढ़ाया और इंडस्ट्री को अब तक के सर्वाधिक आंकड़े तक पहुंचाया. पैसेंजर व्हीकल मार्केट में इन्वेंट्री लेवल पांच से सात दिन तक घटकर 53–55 दिन पर आ गया, जिससे सप्लाई और डिमांड का संतुलन बेहतर हुआ.
देशभर के डीलर्स ने बताया कि इस फेस्टिव सीजन में उन्हें अब तक की सबसे अधिक पूछताछ, फुटफॉल और बुकिंग कन्वर्ज़न देखने को मिले. मारुति सुजुकी ने अपने एक बयान में कहा कि, कंपनी ने फेस्टिव सीजन में अपने पूरे पोर्टफोलियो (सभी कारों) के करीब 3.5 लाख बुकिंग्स दर्ज की हैं, जिनमें से लगभग 2.5 लाख बुकिंग्स सिर्फ उन कारों की हैं जो 18% जीएसटी स्लैब में आती हैं.
पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में मारुति सुज़ुकी ने 42.98 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ अपना नेतृत्व कायम रखा. टाटा मोटर्स 13.52 प्रतिशत पर दूसरे और महिंद्रा एंड महिंद्रा 12.19 प्रतिशत पर तीसरे स्थान पर रही. इन तीनों ब्रांड्स ने मिलकर कुल बिक्री का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा अपने नाम किया.
टू-व्हीलर सेगमेंट में हीरो मोटोकॉर्प 31.58 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ टॉप पर रही, जबकि होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया 26.10 प्रतिशत और टीवीएस मोटर 17.72 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ उसके बाद रहे. कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में महिंद्रा 34.5 प्रतिशत के साथ नंबर वन रही, जबकि टाटा मोटर्स 32.3 प्रतिशत और अशोक लीलैंड 15.3 प्रतिशत पर रहे.
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