Sharad Agarwal Tesla India Head: टेस्ला ने इस साल जुलाई में मुंबई में अपने पहले शोरूम के लॉन्च के साथ आधिकारिक तौर पर भारत में एंट्री की थी. इसके बाद कंपनी ने दिल्ली में अपना नया शोरूम शुरू किया था. लेकिन अब एलन मस्क की कंपनी ने भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए एक बड़ा दांव चला है. कंपनी ने शरद अग्रवाल को भारत का नया कंट्री हेड नियुक्त किया है, जो पहले लैम्बोर्गिनी इंडिया (Lamborghini India) के प्रमुख रह चुके हैं. यह कदम टेस्ला की स्ट्रैटेजी में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है. अब तक जो कंपनी भारत को दूर से संभाल रही थी, वह अब स्थानीय नेतृत्व के सहारे भारतीय ग्राहकों की नब्ज़ पकड़ने की कोशिश करेगी.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, शरद अग्रवाल भारत में टेस्ला की कमान संभालेंगे और यह नियुक्ति भारत के लिए टेस्ला की “न्यू स्ट्रैटेजी” का हिस्सा है. अब तक टेस्ला की भारत में मौजूदगी काफी सीमित रही है. कंपनी के पास एक छोटी सी ही लोकल यूनिट है, जिसे चीन और अन्य रिजनल सेंटर्स से रिमोटली कंट्रोल किया जाता था. इससे पॉलिसी मेकिंग और बाजार की समझ की कमी जैसी समस्याएं सामने आ रही थीं. लेकिन अब शरद अग्रवाल की नियुक्ति से यह उम्मीद बढ़ी है कि कंपनी भारत में अपना पांव पसारेगी.
शरद अग्रवाल का नाम इंडियन ऑटो इंडस्ट्री में लग्ज़री ब्रांड्स से जुड़ा रहा है. हाल ही में उन्होंने जावा, येज्डी और बीएसए जैसे मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी क्लासिक लीजेंड्स से चीफ बिजनेस ऑफिसर पद से इस्तीफा दिया था. इससे पहले वो लग्ज़री स्पोर्ट कार कंपनी लैम्बोर्गिनी का भी भारत में नेतृत्व कर चुके हैं.
लैम्बोर्गिनी में उनकी अगुवाई में कंपनी ने न सिर्फ रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की, बल्कि ब्रांड की प्रीमियम छवि को भी मजबूत किया. अब टेस्ला की जिम्मेदारी उनके कंधों पर टिकी है. उनका पहला मिशन भारत में सेल्स नेटवर्क को मजबूत करना होगा. फिलहाल कंपनी दिल्ली और मुंबई में अपने दो एक्सपीरिएंस सेंटर (शोरूम) के साथ आगे बढ़ रही है.
मई में टेस्ला के पूर्व कंट्री हेड प्रशांत मेनन के इस्तीफे के बाद से कंपनी के इंडिया ऑपरेशन को साउथ-ईस्ट एशिया डायरेक्टर इसाबेल फैन देख रही थीं. लेकिन, उनकी भूमिका मुख्यतः रिमोट मैनेजमेंट तक सीमित थी. अब अग्रवाल की नियुक्ति से कंपनी भारत में “ऑन-ग्राउंड लीडरशिप” के साथ आगे बढ़ेगी, जिससे डिसिजन प्रोसेस तेज़ और बाज़ार की ज़रूरतों के अनुसार होगी.
टेस्ला ने जुलाई में भारत में अपनी बिक्री की शुरुआत की थी, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शुरुआत में कंपनी को सिर्फ 600 ऑर्डर मिले थे. अक्टूबर तक यह आंकड़ा बढ़कर करीब 800 वाहनों तक पहुंचा है, जो कंपनी की ग्लोबल सेल्स की तुलना में बेहद कम है. जानकारों का मानना है कि भारत में हाई इम्पोर्ट ड्यूटी, टेस्ला की उंची कीमत और EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी इसके पीछे बड़ी वजह है.
टेस्ला कोई नया नाम नहीं है, और इसे किसी परिचय की भी जरूरत नहीं है. लेकिन फिर भी कंपनी भारत में अपनी पहुंच और पकड़ मजबूत करने के लिए लगातार मार्केटिंग कैंपेन चला रही है. टेस्ला ने दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख मॉल्स, खासकर गुरुग्राम में, पॉप-अप डिस्प्ले लगाए हैं. इन डिस्प्ले के जरिए कंपनी उपभोक्ताओं को अपने मॉडल्स से सीधे रूबरू करा रही है. यह कदम दिखाता है कि टेस्ला अब भारतीय उपभोक्ता के साथ सीधा संवाद बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
शरद अग्रवाल की नियुक्ति से यह संकेत भी मिलता है कि टेस्ला अब भारत में स्थानीय उत्पादन या असेंबली प्लांट की दिशा में कदम बढ़ा सकती है. एलन मस्क पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद यह संकेत दे चुके हैं कि टेस्ला भारत में निवेश को लेकर गंभीर है. यदि यह रणनीति सफल रही, तो भारत जल्द ही टेस्ला के ग्लोबल एक्सपैंड का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है. अब देखना होगा कि क्या अग्रवाल भारतीय सड़कों पर टेस्ला के सपने को हकीकत में बदल पाते हैं या नहीं.
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