Delhi Red Fort Blast News: देश की राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास हुए ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस धमाके में 9 लोगों की मौत हुई है और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. स्थानीय पुलिस और जांच एजेंसियां हादसे की कड़ियों को जोड़ने में जुटी हैं. इस दौरान पता चला कि, हादसे में सफेद रंग की हुंडई आई20 कार का इस्तेमाल किया गया था, जिसके पिछले हिस्से में विस्फोट हुआ था.
आजतक के अरविंद ओझा रिपोर्ट के मुताबिक, हादसे में शामिल हुंडई आई20 कार हरियाणा के गुरुग्राम नॉर्थ आरटीओ में रजिस्टर्ड थी. इसका नंबर (HR 26 CE 7624) था. बताया जा रहा है कि, ये कार मोहम्मद सलमान नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड थी. ब्लास्ट के बाद जब पुलिस ने सलमान को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की इस मामले का पुलवामा कनेक्शन भी सामने आया है. बताया जा रहा है कि, सलमान ने इस कार को जम्मू-कश्मीर के तारिक नामक व्यक्ति को बेचा था.
ऐसे में इस बात की चर्चा करना बेहद जरूर है कि, जब आप अपनी पुरानी कार किसी को बेचते हैं तो आपको किस हद तक सतर्क रहने की जरूरत है. आपकी एक छोटी सी लापरवाही न केवल आपको मुश्किल में डाल सकती है. बल्कि इससे देश को भी बड़ा खतरा हो सकता है.
इस मामले में आजतक ने पी. एस. सत्यार्थी, डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर, रोड सेफ्टी से बातचीत की. सत्यार्थी ने कहा कि, “कोई भी व्यक्ति अपने वाहन को किसी को भी बेच सकता है. लेकिन इसके कुछ नियम और प्रावधान हैं. लेकिन इससे पहले कुछ बातों पर गौर करना भी बेहद जरूरी है.”
सत्यार्थी कहते हैं कि, “अपने वाहन को खरीदार को हैंडओवर करने से पहले (वाहन की चाबी देने) से पहले ओनरशिप ट्रांसफर करना सबसे जरूरी है. इसके लिए जब क्रेता और विक्रेता के बीच लेनदेन हो जाए तो तत्काल संबंधित अथॉरिटी पर पहुंच कर ट्रांसफर फॉर्म भरकर वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करने के लिए आवेदन करना जरूरी है.”
सत्यार्थी ने बताया कि, “ये प्रक्रिया बेहद ही आसान है. इसके लिए कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स लगते हैं. जिसमें क्रेता और विक्रेता का फोटो, आईडी, आरसी के पेपर, फॉर्म नंबर 29, और 30 पर दोनों पार्टियों के सिग्नेचर की जरूरत होती है. इसे संबंधित आरटीओ में जाकर आसानी से पूरा किया जा सकता है. जब वाहन के आरसी यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर नए खरीदार का नाम चढ़ जाता है, तो उक्त वाहन की जिम्मेदारी अब पिछले मालिक की नहीं होती है.”
“यदि वाहन का आरसी ट्रांसफर नहीं हुआ है और गाड़ी नए खरीदार को सौंप दी गई है तो इस दशा में उक्त वाहन के साथ होने वाली किसी भी घटना में फर्स्ट ओनर का ही नाम आएगा. क्योंकि आरटीओ में वाहन उसी के नाम से दर्ज होगा. इसके अलावा वाहन की आरसी ट्रांसफर करवाने से पहले रजिस्टर्ड ओनर (वाहन मालिक) को वाहन के सभी चालान भी जमा करने जरूरी हैं, तभी वाहन की ओनरशिप ट्रांसफर होगी.”
वाहन के आरसी ट्रांसफर होने के बाद इंश्योरेंस कंपनी को भी सूचित करना जरूरी है. क्योंकि जब वाहन बेचा जाता है तो उस वक्त इंश्योरेंस पेपर पर पिछले वाहन मालिक का ही नाम दर्ज होता है. ऐसे में यदि वाहन के विक्रय के बाद कोई अप्रिय घटना (एक्सीडेंट) होती है, वाहन के इंश्योरेंस क्लेम में नए वाहन मालिक को समस्या होगी.
यदि कोई दूसरे राज्य में रजिस्टर्ड वाहन खरीदना या बेचना चाहता है तो उसकी प्रक्रिया थोड़ी अलग है. पी. एस. सत्यार्थी उदाहरण देते हुए बताते हैं कि, यदि कोई व्यक्ति उत्तर प्रदेश में रहता है और उसे दिल्ली में रजिस्टर्ड कोई पुरानी वाहन खरीदना है. तो इस स्थिति रजिस्टर्ड वाहन मालिक को संबंधित आरटीओ (RTO) से वाहन के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेनी होगी. जिसके बाद ही वाहन को दूसरे राज्य में बेचा जा सकता है.
बकौल सत्यार्थी, “यदि वाहन को उसी राज्य में बेचा जा रहा है जहां वाहन रजिस्टर्ड है तो उसके आरसी ट्रांसफर होने में औसतन 7 दिन का समय लगता है. लेकिन यदि वाहन को दूसरे राज्य में बेचा गया है तो इस प्रक्रिया में तकरीबन 30 दिन का समय लग सकता है. हालांकि यह अलग-अलग आरटीओ और स्थितियों पर भी निर्भर करता है.”
पुराने वाहन को बेचने के कई तरीके हैं. यदि आप इस कार को बेचकर नया वाहन लेना चाहते हैं तो इसे नए वाहन के डीलरशिप से एक्सचेंज कर सकते हैं. जो न केवल नई खरीदारी को किफायती बनाता है बल्कि, इसमें झंझट भी बिल्कुल नहीं होती है. इसके अलावा इस समय कई ब्रांड्स हैं जो पुराने वाहनों की खरीद फरोख्त करते हैं. ये भी आपके वाहन की बेहतर कीमत लगातार उसे खरीद सकते हैं. ये तरीका भी काफी सहज होता है. इसमें आपको खरीदार के बारे में जांच पड़ताल करने की जरूरत नहीं होती है.
लेकिन यदि आप अपने वाहन को सीधे किसी ग्राहक को बेच रहे हैं, तो आपको अलर्ट रहने की जरूरत है. वाहन बेचने या उसका हैंडओवर किसी दूसरे व्यक्ति को देने से पहले उक्त व्यक्ति के बारे में जांच पड़ताल जरूर करना चाहिए. इससे आप भविष्य में किसी भी तरह के विवाद या इमरलेंसी सिचुएशन से बच सकते हैं.
अश्विन सत्यदेव