Charging Ahead: इलेक्ट्रिक वाहनों की सेल के साथ, भारत में तेजी से बढ़ रहे EV पब्लिक चार्जिंग स्टेशन

EV Public Charging Points: सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के अनुसार, देश भर में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों पर 763 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हुई है.

Advertisement
Electric Vehicle Electric Vehicle

अंकिता तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2025,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या दोनों तेजी से बढ़ रही है. केंद्र सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ाने दे रही है. इसके लिए भारी उद्योग मंत्रालय ने सितंबर 2024 में PM इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (PM E-DRIVE) योजना शुरू की थी. इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करना है. 

Advertisement

इसके अलावा ये योजना घरेलू बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने में भी मदद करती है. इस योजना का बजट अक्टूबर 2024 से मार्च 2026 तक दो वर्षों के लिए 10,900 करोड़ रुपये है. जिसमें से 2,000 करोड़ रुपये विशेष रूप से देश भर में सार्वजनिक स्थानों पर EV चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए निर्धारित किए गए हैं.

इन राज्यों में EV चार्जिंग के लिए सबसे ज्यादा बिजली की खपत:

इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए बिजली की खपत के मामले में दिल्ली सबसे आगे है. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के अनुसार, देश भर में अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के बीच केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशनों पर 763 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हुई थी. वहीं अकेले दिल्ली में इस खपत की 40.1 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. यानी दिल्ली में लोग पब्लिंग चार्जिंग स्टेशनों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं.

Advertisement

इसके अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक क्रमशः 192.3 और 64.7 मिलियन यूनिट के साथ दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, जबकि 58 मिलियन यूनिट के साथ गुजरात चौथे स्थान पर है. कुल मिलाकर देश भर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए खपत होने वाली कुल बिजली में इन चारों राज्यों का योगदान तकरीबन 80 प्रतिशत से ज्यादा है.

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की ग्लोबल ईवी आउटलुक 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 से 2024 के बीच देश भर में पब्लिक ईवी चार्जिंग पॉइंट्स की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है. जो तेजी से बढ़ रहा है. जहां साल 2017 में देश में केवल 220 स्लो चार्जर थे वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 47,000 हो गई है. स्लो चार्जर आमतौर पर कारों को चार्ज करने में 6-8 घंटे का समय लेते हैं और इनका इस्तेमाल ज़्यादातर घरों या वर्क स्टेशनों पर किया जाता है. 

दूसरी ओर, फास्ट चार्जिंग पॉइंट्स की संख्या जो 2018 में केवल 25 थी वो 2024 में बढ़कर 28,000 हो गई. यानी फास्ट चार्जिंग प्वाइंट्स की संख्या में सबसे तेज ग्रोथ देखने को मिली है. माना जा रहा है कि 2030 तक भारत में पब्लिक ईवी चार्जिंग पॉइंट्स की संख्या और तेजी से बढ़ेगी. अनुमान है कि, 2030 तक देश भर में 2 लाख से अधिक स्लो चार्जर और लगभग 1.6 लाख फास्ट चार्जिंग प्वाइंट्स होंगे.

Advertisement

राज्यों के अनुसार पब्लिक ईवी चार्जिंग पॉइंट्स:

देश के अलग-अलग राज्यों में पब्लिक ईवी चार्जिंग पॉइंट्स की संख्या एक दूसरे से काफी भिन्न है. दिल्ली में प्रति लाख लोगों पर 8.8 चार्जिंग स्टेशन हैं, कर्नाटक में 8.4 और गोवा में 8.6 हैं. वहीं महाराष्ट्र में प्रति लाख लोगों पर केवल 2.9 चार्जिंग स्टेशन हैं. राजस्थान में 1.4 और गुजरात में 1.4 चार्जिंग स्टेशन हैं.

बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी उनकी आबादी के हिसाब से चार्जिंग सुविधाएं अपर्याप्त हैं. औसतन, देश भर में प्रति लाख लोगों पर केवल 1.8 पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशन हैं.

पर्यावरण को मिल रहा है लाभ:

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से पर्यावरण को लाभ मिल रहा है. पीएम ई-ड्राइव के आंकड़ों के अनुसार, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से प्रतिदिन लगभग 15.5 लाख लीटर फ्यूल (पेट्रोल-डीजल) की बचत होती है, जबकि प्रतिदिन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 22.6 लाख किलोग्राम से अधिक की कमी आती है. 
 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement