Anand Mahindra हो गए मजबूर, 12 साल में ही बेचनी पड़ी यह कंपनी

महिंद्रा समूह SsangYang Motor में लंबे समय से पैसे लगा रहा था, पर कोई सही रिटर्न नहीं मिल पा रहा था. इसके बाद महिंद्रा समूह ने अप्रैल 2020 में निर्णय लिया कि अब इस कंपनी में पैसे नहीं लगाए जाएंगे. इसी के बाद महिंद्रा ने खरीदार खोजने की शुरुआत कर दी थी.

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2020 से इसे बेचना चाह रहा था महिंद्रा समूह 2020 से इसे बेचना चाह रहा था महिंद्रा समूह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST
  • सात दशक में कई बार बदले इस कंपनी के मालिक
  • 2020 से खरीदार खोज रहा था महिंद्रा समूह

महिंद्रा एंड महिंद्रा की दक्षिण कोरियाई कंपनी SsangYong Motor अंतत: बिक गई है. आनंद महिंद्रा के M&M समूह को कई महीनों से इसका इंतजार था. महिंद्रा समूह इस कंपनी को बेचने का काफी समय से प्रयास कर रहा था, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिल रहा था. अब अंतत: दक्षिण कोरिया की कुछ कंपनियों के एक गठजोड़ ने इसे खरीदने की सहमति दे दी है.

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यह मामला कई महीनों से कोर्ट के चक्कर काट रहा था. महिंद्रा समूह के द्वारा कोई खरीदार नहीं खोज पाने के बाद यह मामला कोर्ट में चला गया था. अब स्थानीय कंपनियों का एक गठजोड़ SsangYang Motor को 305 बिलियन वॉन (Won) यानी करीब 254.56 मिलियन डॉलर में खरीदने पर सहमत हुआ है. महिंद्रा ने 12 साल पहले 2010 में इस कंपनी का अधिग्रहण किया था.

महिंद्रा समूह SsangYang Motor में लंबे समय से पैसे लगा रहा था, पर कोई सही रिटर्न नहीं मिल पा रहा था. इसके बाद महिंद्रा समूह ने अप्रैल 2020 में निर्णय लिया कि अब इस कंपनी में पैसे नहीं लगाए जाएंगे. इसी के बाद महिंद्रा ने खरीदार खोजने की शुरुआत कर दी थी. साल 2020 के समाप्त होने से पहले ही SsangYang Motor को 100 बिलियन वॉन के कर्ज के चलते बैंकरप्सी केस फाइल करने की जरूरत पड़ गई.

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बाद में कोरोना वायरस के चलते फैली महामारी ने SsangYang Motor के लिए परिस्थितियां और बिगाड़ दी. कंपनी की बिक्री लगातार कम हुई और 2021 में महज 84 हजार यूनिट बिक पाए. यह एक साल पहले से करीब 21 फीसदी कम था. साल 2021 में देखें तो पहले नौ महीने में इसे 238 बिलियन वॉन का ऑपरेटिंग लॉस उठाना पड़ गया.

महिंद्रा एंड महिंद्रा ने SsangYong Motor का अधिग्रहण करने के बाद एसयूवी और इलेक्ट्रिक व्हीकल पर फोकस करने की रणनीति अपनाई, जो सफल नहीं हो पाई. करीब 70 साल पुरानी इस कंपनी को Dong-A Motor से SsangYong Business Group ने 1988 में खरीदा था. बाद में इसे Daewoo Motors और SAIC ने खरीदा, जिनसे महिंद्रा ने इसका अधिग्रहण किया. अब यह दशकों पुरानी कंपनी फिर से नए मालिक के पास पहुंच गई है.

 

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