महानगरीय भागदौड़, उलझन और व्यस्तता के बीच कैनवस पर सांस लेता-खिलता जीवन

दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आरती उप्पल सिंगला ने अपनी सोलो पेंटिंग प्रदर्शनी 'ऑरेलिया- बिटवीन ब्रीथ एंड ब्लूम' का आयोजन किया. यह प्रदर्शनी महानगरीय जीवन की तेज़ी और प्रकृति की नाजुक सुंदरता के बीच के संतुलन को दर्शाती है.

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चित्रकार आरती उप्पल सिंगला की सोलो पेंटिंग प्रदर्शनी में शामिल पेंटिग चित्रकार आरती उप्पल सिंगला की सोलो पेंटिंग प्रदर्शनी में शामिल पेंटिग

विकास पोरवाल

  • नई दिल्ली,
  • 10 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:31 PM IST

एक दौड़ता-भागता महानगर, पल-पल बनता और पल में बदलता कंक्रीट का एक जंगल, गगन को चूमने वाली इमारतों की भीड़ और इनके इर्द-गिर्द हरियाली सिर्फ इतनी सी कि जैसे किसी चित्रकार ने हरा रंग लेकर कूची को झटक दिया हो.... लेकिन प्रकृति तो प्रकृति है, उसे कहीं किसी कोने में भी नए जीवन को पनपने भर की जगह मिलती है को वह पूरी शिद्दत से खिल उठती है. इन्हीं जरा-जरा सी सांस के बीच प्रकृति के खिलने-खिलखिलाने का जो सिलसिला है उसे कैनवस पर उकेरा है आरती उप्पल सिंगला ने.... बीते दिनों राजधानी दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में उन्होंने अपनी पेंटिंग प्रदर्शनी की खास सीरीज- ऑरेलिया- बिटवीन ब्रीथ एंड ब्लूम का सोलो प्रदर्शन किया.

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अपने आप में एक कहानी है सीरीज की हर पेंटिंग
सीरीज की हर पेंटिंग अपने आप में एक कहानी कहती है, और कूची के पहले स्ट्रोक से ही कैनवस पर जीवन खिलना शुरू कर देता है. हर एक पेंटिंग के साथ खास ये रहा कि उसकी अभिव्यक्ति को शब्द भी मिले हैं, जो एक कविता है. चित्र खुद में एक शब्द रहित कविता है और जब एक ही दीवार पर चित्र और कविता एक साथ टांके गए हों तो कला अपने आप में संपूर्ण हो जाती है. 

क्या है कलाकृतियों में खास?
खैर... आरती अपनी कृतियों के संग्रह 'ऑरेलिया- बिटवीन ब्रीथ एंड ब्लूम' पर कहती हैं कि ये तस्वीरें असल में महानगरीय दौड़ के बीच आराम के कुछ पल हैं, थोड़ी देर सुस्ता कर फिर से सारी ताकत जुटाकर काम लग जाने की है. यही इस फैले और विकास का पर्याय बन रहे बड़े शहरों का सच है. वरना यहां तो इतनी तेजी है कि न ट्रैफिक सिंग्नल पर गाड़ियां रुकना चाहती हैं और न फिजा में आया हुआ मौसम. अपनी बालकनी में खिलने वाले फूलों में आप कितना वसंत महसूस कर लेंगे... लेकिन हम करते हैं, हम जीते हैं, बदलते हैं, चलते हैं और इन सबके बीच हम ठहरते भी हैं, सांस भी लेते हैं और उन्हीं पलों में खिल लिया करते हैं. यही है बिटवीन ब्रीथ एंड ब्लूम...

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महानगरीय उधेड़बुन का कैनवस पर जीवंत प्रदर्शन
आरती की बात उनकी कृतियों को देखते हुए और भी दार्शनिक सा अहसास ले लेती है. उनकी एक पेंटिंग है, बिटविन स्टील एंड स्काई. पेंटिंग को निहारते हुए आप पाएंगे कि एक ऊंची इमारत बनी हुई है, उसके इर्द-गिर्द इतनी ही हरियाली है कि एक पॉम ट्री नजर आ रही है. इमारत की ऊंचाई तक उड़ती चिड़िया को कहीं ठौर नहीं है और ऊपर तर ऊपर जैसे डिब्बे रखे हों, उनके भीतर कुछ जिंदगियां पनाह ले रही हैं. अधर में लटकी हुई सी, धरती और आकाश के बीच जीवन का एक रुख ऐसा भी है. आरती अपनी पेंटिंग में महानगरीय उधेड़-बुन को ऐसे ही गहरे रंगों में उकेरती हैं. 

इसी तरह उन्होंने Lotus Pond (कमल ताल) को भी अपनी कूची से कैनवस पर उकेरा है. कमल, जो की पौराणिक गाथाओं में भी जागृति का प्रतीक है और यह व्यक्त-अव्यक्त के बीच की कड़ी बनकर उभरता है. जीवन की शुरुआत जिस कमल से होती है, उसे पुराणों में ब्रह्म कमल कहा गया है. इस लिहाज से चित्रकला में कमल हमेशा से अपने गहरे भावों की अभिव्यक्ति का आभार बनता आया है.

कमल ताल, जिसमें नजर आता है जीवन का विकास
हरे-काले शेड्स के मिलेजुले बैकग्राउंड पर, कमलदल उभरकर आते हैं, जिसमें जीवन की अलग-अलग अवस्थाएं नजर आती हैं. कमल के सबसे निचले हिस्से में पत्तों की बीच, बीजपट की मौजूदगी नवजीवन के संरक्षण को दिखाती है. कमल की नाल जीवन के जुड़ाव को सामने रखती है. नई कलियां जीवन के सतत विकास की ओर इशारा करती हैं और खिले हुए कमल पुष्प जीवन की संपूर्णता को सामने रखते हैं. 

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आरती उप्पल सिंगला की पेंटिंग कैनवस पर बिखरे जीवन के अलग-अलग रंग जैसी ही है. वह खुली आंखों से दिखने वाले दिवा स्वप्न को सचेत दुनिया के आकार में ढाल देती है. वह साधारण और असाधारण के बीच गहरी छानबीन करती हैं और अपनी रचनात्मक ऊर्जा के जरिए, जीवंत और क्षणभंगुर के अलग-अलग दृश्य रचती हैं. ये दृश्य कला के बीज बन जाते हैं और फिर जीवन की नई अवधारणा को सामने रखते हैं.

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