कभी साल में थे 445 दिन, अचानक गायब कर दिए गए 10 दिन, अब 365... जानें कैलेंडर का इतिहास

आज जो कैलेंडर हम देख रहे हैं वह बहुत सुधारों और बदलावों के बाद हमारे सामने है. कैलेंडर में महीनों के बंटवारे, दिनों की निर्धारित संख्या और यहां तक कि इसे पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर की परिक्रमा गति से भी मिलाने की कोशिश की गई है. आज हमारा एक साल 365 दिन का है, लेकिन एक दौर ऐसा भी रहा है, जब एक साल में बढ़ते-बढते 445 दिन भी हो गए थे.

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आज इस्तेमाल किया जाने वाला कैलेंडर कई सुधारों के दौर से गुजरा है आज इस्तेमाल किया जाने वाला कैलेंडर कई सुधारों के दौर से गुजरा है

विकास पोरवाल

  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:25 PM IST

नए साल के आगाज की तैयारियां हो चुकी हैं. घड़ी की सुइयां आज जैसे ही एक साथ 12 के अंक पर पहुंचेंगी साल बदल जाएगा. लोग एक-दूसरे से गले मिलकर बधाइयां देंगे और जश्न मनाएंगें. जश्न और उत्साह के इस खुशनुमा दौर के बीच अगर आपको पता चले कि जो नया साल आप मना रहे हैं वह असल में 'झूठ' है तो? जिस समय और तारीख को आज अपने शेड्यूल या जरूरत के अनुसार इस्तेमाल कर रहे हैं, वह सिर्फ एक भ्रम है तो आप क्या करेंगे?

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वाकई, इतिहास में ऐसा हुआ है. आज जो समय, दिन, महीने और साल की गणना हम करते हैं असल में वह सब इतिहास में बदली जा चुकी हैं. बल्कि एक बार तो ऐसा भी हो चुका है कि जब कैलेंडर से सीधे 10 दिन गायब ही कर दिए गए थे. 2025 से 2026 में पहुंचने से पहले कैलेंडर के ऐसी ही तथ्य जान लीजिए, जो बड़े ही रोचक हैं.

ये तो आप जान चुके हैं कि रोमन राजा रोमुलस ने 10 महीने का कैलेंडर बनाया था. इसमें सर्दी के दो महीने थे ही नहीं. फिर रोमन राजा नूमा पोंपिलियस ने 12 महीनों का कैलेंडर बनाया और ठंड के 61 दिनों को जनवरी और फरवरी का नाम देकर साल का पहला और दूसरा महीना बनाया.

इस तरह कैलेंडर में कुछ सुधार हुए और त्योहार भी सही समय पर पड़ने लगे, लेकिन अभी भी कैलेंडर में खामियां थी, क्योंकि यह पृथ्वी की गति के आधार पर बनने वाले सौर वर्ष से मेल नहीं खा रहा था. इसलिए हर साल तारीखों में बड़े अंतर आ जाते थे.

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जूलियस सीजर ने किए थे कैलेंडर में अहम बदलाव
रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने 45 ईसा पूर्व में रोमन कैलेंडर में कई जरूरी और स्थायी बदलाव किए, जो आधुनिक जूलियन कैलेंडर (Julian Calendar) के रूप में प्रसिद्ध है. उनका यह सुधार रोमन कैलेंडर की खामियों को दूर करने और इसे सौर वर्ष (365.25 दिन) के करीब लाने का प्रयास था. नूमा पोंपिलियस द्वारा सुधार के बावजूद, रोमन कैलेंडर 355 दिनों का था. इसे सौर वर्ष (365.25 दिन) से मेल खाने के लिए हर दूसरे वर्ष में एक अतिरिक्त महीना, मर्केडोनियस (Mercedonius), जोड़ा जाता था, लेकिन यह तरीका बहुत कठिन हो जाता था और अक्सर ठीक से लागू नहीं हो पाता था.

अतिरिक्त महीना जोड़ने का अधिकार रोमन पोंटिफ्स (पुजारियों) के पास था, जो इसे राजनीतिक लाभ के लिए बदल देते थे. इसकी वजह से त्योहार और मौसम गलत समय पर पड़ने लगे थे. जूलियस सीज़र ने मिस्र की यात्रा के दौरान खगोलशास्त्री सोसिजिनीज़ (Sosigenes) से सहायता ली, जिन्होंने खगोल विद्या के आधार पर अधिक सटीक सौर कैलेंडर को समझाया था.

उन्होंने साल को 365.25 दिन का बनाया और कैलेंडर को सौर वर्ष के अनुरूप बदला. 365 दिनों के साथ हर चौथे साल में एक लीप वर्ष (366 दिन) जोड़ा गया. इसी दौरान पहली बार महीनों को 30 और 31 दिनों में बांटा गया. फरवरी को 28 दिन का रखा गया और लीप वर्ष में इसे 29 दिन का बनाया गया.

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जब एक साल में हो गए थे 445 दिन!
कैलेंडर को सौर वर्ष से मेल कराने के लिए, 46 ईसा पूर्व को "अराजक वर्ष" (Year of Confusion) कहा गया, जिसमें 445 दिन थे. इस अतिरिक्त समय ने मौसम और त्योहारों को सही समय पर लाने में मदद की.

जूलियस सीजर ने इस नए कैलेंडर को अपनाने से पहले क्विंटिलिस महीने का नाम बदलकर जुलाई (July) रख दिया. इस तरह अब एक सामान्य वर्ष 365 दिनों का बन गया. लीप वर्ष यानी हर चौथे साल में एक एक्स्ट्रा दिन (फरवरी में) जोड़ा गया. महीनों की लंबाई, जनवरी, मार्च, मई, जुलाई, अगस्त, अक्टूबर, दिसंबर में 31 दिन की हुई और अप्रैल, जून, सितंबर, नवंबर 30 दिन के बनाए गए. इसी जूलियन कैलेंडर को पूरे रोमन साम्राज्य में अपनाया गया और यह यूरोप सहित कई क्षेत्रों में सदियों तक इस्तेमाल होता रहा.

पोप ग्रेगरी XIII के बदलाव

1582 में पोप ग्रेगरी XIII ने जूलियन कैलेंडर की खामियों को ठीक करने के लिए एक नया कैलेंडर पेश किया, जिसे आज ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) कहा जाता है.

जूलियन कैलेंडर पहले की तुलना में अधिक सटीक था, लेकिन इसमें भी समस्या कम नहीं थी. जूलियन कैलेंडर में हर चौथे साल एक दिन जोड़ने का सिस्टम था. जिससे एक साल की औसत लंबाई 365.25 दिन होती थी. वास्तविक सौर वर्ष की लंबाई 365.24219 दिन है. इस छोटे से अंतर के कारण हर 128 साल में कैलेंडर एक दिन आगे बढ़ जाता था.

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16वीं शताब्दी तक, यह त्रुटि 10 दिनों तक पहुंच गई थी. इससे ईस्टर, जो वसंत विषुव (Spring Equinox) के बाद पड़ता है, सही समय पर नहीं आ रहा था. पोप ग्रेगरी XIII ने इस समस्या को हल करने के लिए खगोलविदों और गणितज्ञों की एक टीम बनाई. उनके नेतृत्व में कैलेंडर में कई सुधार किए गए.

अंग्रेजों ने 1752 में अपनाया ग्रेगेरियन कैलेंडर

सबसे पहले तो 10 दिनों को हटाया गया. इसके लिए कैलेंडर को सौर वर्ष के साथ मिलाने के लिए, 4 अक्टूबर 1582 के बाद सीधे 15 अक्टूबर 1582 किया गया. इस प्रकार, 10 दिन हटा दिए गए. इस तरह आज जो कैलेंडर चलन में लाया जा रहा है, उसे पोप ग्रेगरी XIII द्वारा किए गए बड़े सुधारों के बाद साल 1582 से अपनाया गया था. अंग्रेजों ने इसी कैलेंडर को साल 1752 में स्वीकार किया था, जिसे तबसे अंग्रेजी नववर्ष कहा जाता है.

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