कथक की बात हो और इस विधा को अपने शिल्प से संवारने वाले महान गुरु पद्मश्री शंभूनाथ शुक्ला को न याद रखा जाए ऐसा मुमकिन नहीं. बीते दिनों उनकी 118वीं जयंती पर नई दिल्ली के रवींद्र भवन स्थित मेघदूत एम्फीथियेटर में प्रतिष्ठित कथक संस्था ‘ध्वनि’ की ओर से एक खास कार्यक्रम आयोजित किया गया. संस्था की अध्यक्ष वास्वती मिश्रा के कलात्मक निर्देशन में आयोजित ‘स्मृति 2025’ ध्वनि की स्थापना दिवस का मौका तो था ही साथ ही लखनऊ घराने के महान गुरु पद्मश्री पंडित शंभू महाराज की 118वीं जयंती को भी समर्पित था.
इस मौके पर पहली बार पंडित शंभू महाराज स्मृति पुरस्कार की शुरुआत की गई. ध्वनि द्वारा स्थापित यह वार्षिक सम्मान भारतीय शास्त्रीय कलाओं में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कलाकारों को प्रदान किया जाएगा. इसके पहले संस्करण में दो दिग्गजों को सम्मानित किया गया—
1.पद्म विभूषण उस्ताद अमजद अली खान, हिंदुस्तानी वाद्य संगीत में असाधारण योगदान के लिए
2. गुरु डॉ. मायाराव (मरणोपरांत), कथक शिक्षा और कोरियोग्राफी में अग्रणी कार्य के लिए
कार्यक्रम की शुरुआत पंडित शंभू महाराज के जीवन और कला पर आधारित फोटो प्रदर्शनी से हुई, जिसके बाद स्वागत संबोधन और एक ऑडियो-विजुअल श्रद्धांजलि प्रस्तुत की गई. इसके बाद ध्वनि रैपर्टरी की प्रस्तुति, इप्शिता मिश्रा और डेनियल फ्रेडी का कथक युगल और अंत में पद्मश्री उस्ताद शाहिद परवेज का सितार वादन हुआ, जिसमें तबले पर उस्ताद अकबर खान ने संगत की.
उस्ताद अमजद अली खान हुए सम्मानित
सम्मान ग्रहण करते हुए उस्ताद अमजद अली खान ने कहा, 'यह मेरे लिए सौभाग्य है. शंभू महाराज जी का आशीर्वाद पाना बड़ा सम्मान है. 1957 में जब मेरा परिवार दिल्ली आया, तब मैं अक्सर भारतीय कला केंद्र की इस इमारत में उन्हें देखा करता था. बचपन में मैं हर कक्षा में जाकर कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करता था. आज भी खुद को छात्र ही मानता हूं. मुझे खुशी है कि यह विरासत पंडित कृष्ण मोहन मिश्रा, पंडित राम मोहन महाराज और वास्वती मिश्रा जैसे गुरुजनों के साथ आगे बढ़ रही है.'
1984 में हुई थी ध्वनि की स्थापना
ध्वनि की संस्थापक और वरिष्ठ कथक गुरु वास्वती मिश्रा, पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज की शिष्या रही हैं. उन्होंने कहा- 'यह आयोजन हमारे गुरु पंडित शंभू महाराज की स्मृति को समर्पित एक विनम्र प्रयास है. स्मृति पुरस्कार के माध्यम से हम उनके आदर्शों, कला की गरिमा, निष्ठा और उत्कृष्टता को आगे बढ़ाना चाहते हैं.'
1984 में स्थापित ध्वनि भारत सरकार से मान्यता प्राप्त गैर-लाभकारी संस्था है, जिसे ICCR और संस्कृति मंत्रालय में पंजीकरण प्राप्त है. वास्वती मिश्रा के नेतृत्व में ध्वनि ने भारत सहित जापान, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, इटली, स्वीडन और कनाडा में कई महत्वपूर्ण प्रस्तुतियां दी हैं.
पंडित शंभू महाराज स्मृति पुरस्कार की शुरुआत ध्वनि की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. यह भारतीय शास्त्रीय कलाओं को नई ऊर्जा देने और श्रेष्ठ कलाकारों को मंच उपलब्ध कराने की संस्था की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है.
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