फूलों से हर्बल गुलाल बना रहीं महिलाएं, रोजाना हजारों का मुनाफा

राजस्थान उदयपुर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाड़ोल राजीविका वनधन विकास केंद्र से कुल 60 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. ये महिलाएं रोजाना एक क्विंटल गुलाल का उत्पादन कर रही हैं. इनके द्वारा बनाए गए गुलाल को 200 से 300 रुपये किलो के हिसाब से बाजार में बेचा जा रहा है. इनसे बने गुलाल और रंगों से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है.

Advertisement
Gulal Production By Udaipur Tribal Women Gulal Production By Udaipur Tribal Women

महेंद्र बांसरोटा

  • उदयपुर,
  • 06 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 7:27 PM IST

उदयपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाड़ोल के मगवास में राजीविका से जुड़ी महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर बढ़िया मुनाफा कमा रही हैं. इस गुलाल को बाजार में दो सौ से तीन सौ रुपये किलो की दर से बेचा जा रहा है. ये गुलाल फूलों के रस और अन्य प्राकृतिक सामाग्रियों से बनाया जा रहा है. इनसे बने रंगों से शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. इस वक्त श्रीनाथ राजीविका वनधन विकास केंद्र से जुड़ी 60 महिलाएं रोजाना एक क्विंटल गुलाल का उत्पादन कर रही हैं. 

Advertisement

तीन साल पहले गुलाल बनाने की हुई ती शुरुआत

समूह द्वारा बनाए जा रहे इस गुलाल की डिमांड हिमाचल प्रदेश,दिल्ली,कोलकाता,बिहार,महाराष्ट्र सहित राजस्थान के विभिन्न जिलों से आ चुकी है.  समूह द्वारा तीन साल से यह गुलाल बनाया जा रहा है. तीन साल पहले इन 60 महिलाओ ने हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग ली. इसके बाद 2021 में इन महिलाओं द्वारा 30 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाया गया. वहीं 2022 में 60 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाकर 12 लाख रुपए अर्जित किए गए. इस वर्ष भी इन महिलाओं द्वारा अभी तक 21 क्विंटल गुलाल बना दिया गया है. 

हर्बल गुलाल बनाने के लिए समूह की महिलाएं आस पास के जंगल से पलाश, कनेर, गेंदा, गुलाब आदि फूल, रिजके के पत्ते, चुकंदर आदि इकट्ठा करती हैं. इन सबको साफ पानी से धोकर पानी में उबालती हैं. इस मिश्रण को छानकर ठंडा किया जाता है. इस मिश्रण को अरारोट के आटे में मिलाकर सुखाया जाता है. सूखने के बाद इसमें गुलाबजल व इत्र मिलाया जाता है. इसके बाद इसे छानकर पैकेट में पैक किया जाता है. इसे बनाने में कुल 3 दिन का वक्त लगता है. पहला दिन फूल पत्तियां बीनने में, दूसरा दिन उबालकर मिश्रण तैयार करने और तीसरा दिन सुखाकर पैक करने में लगता है.

Advertisement

दो सौ से तीन सौ रुपए किलो की दर से बाजार में बिकता है 

महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे गुलाल को समिति द्वारा बाजार में दो सौ से तीन सौ रुपए किलो की दर से बेचा जा रहा है. होलसेल में यह गुलाल 210 रुपए प्रति किलो और राजिविका के स्टोर पर रिटेल में 300 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है.  एक किलो गुलाल बनाने में करीब सवा सौ रुपए की लागत आती है. बाजार में ये 200 से 300 रुपये किलो बिकता है. इससे महिलाओं को एक किलो पर 60 से 100 रुपये तक का शुद्ध मुनाफा होता है. गुलाल बनाने के लिए काम कर रही 60 महिलाओ को समिति द्वारा 200 रुपया प्रतिदिन मजदूरी दी जाती है. साथ ही उनके भोजन की व्यवस्था भी की जाती है.

यहां मिल रहा हे यह हर्बल गुलाल 

श्रीनाथ राजीविका वनधन विकास केंद्र मगवास की महिलाओं द्वारा बनाया जा रहा गुलाल जनजाति निगम द्वारा पुरे भारत में संचालित ट्राइब्स इंडिया के सभी स्टाल पर,उदयपुर में लोक कला मंडल के बाहर,सेलिब्रेशन मॉल में लगे स्टाल पर उपलब्ध है. वहीं, यह हर्बल गुलाल सभी सरकारी विभागों,सचिवालय, संसद,मसूरी स्तिथ आई ए एस ट्रेनिंग सेंटर,सभी पंचायत समितियों तक पहुंच चुका है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement