आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है ग्रामीण भारत, नाबार्ड रिपोर्ट में सामने आए उत्साहजनक आंकड़े

यह सर्वेक्षण ग्रामीण भारत में आय, उपभोग, ऋण, और भविष्य के प्रति भावनाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण जरिया है. इसके तहत सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के प्रभाव के आंकड़े सामने आते हैं. 

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ग्रामीण भारत में आय, उपभोग में वृद्धि के बढ़े आंकड़े (फाइल फोटो, ITG) ग्रामीण भारत में आय, उपभोग में वृद्धि के बढ़े आंकड़े (फाइल फोटो, ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने हाल ही में रूरल इकोनॉमिक कंडीशंस एंड सेंटिमेंट्स सर्वे (RECSS) की जुलाई 2025 की रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में ग्रामीण भारत में आर्थिक प्रगति और आशावाद की एक सशक्त तस्वीर उभरकर सामने आई है. इस सर्वेक्षण के अनुसार, 76.6% ग्रामीण परिवारों में पिछले एक साल में उपभोग की वृद्धि सामने आई है. इसके साथ ही, 39.6% परिवारों में आय में वृद्धि की बात सामने आई है, जो सर्वे के सभी छह दौरों में सबसे अधिक है.

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यह सर्वेक्षण ग्रामीण भारत में आय, उपभोग, ऋण, और भविष्य के प्रति भावनाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण जरिया है. इसके तहत सरकारी योजनाओं और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के प्रभाव के आंकड़े सामने आते हैं. 

आय और उपभोग में वृद्धि
सर्वेक्षण के अनुसार, 39.6% ग्रामीण परिवारों ने पिछले एक साल में अपनी आय में वृद्धि दर्ज की. यह आंकड़ा सर्वे के सभी दौरों में सबसे अधिक है. आय वृद्धि के दायरे में, 24.7% परिवारों ने 0-5% की वृद्धि, 42.5% ने 5-10%, 14.9% ने 10-15%, 8.9% ने 15-20%, और 9.1% ने 20% से अधिक की वृद्धि की सूचना दी. यह दर्शाता है कि ग्रामीण भारत में आय का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो आर्थिक स्थिरता और समृद्धि का संकेत है.

उपभोग के मोर्चे पर, 76.6% परिवारों ने पिछले एक साल में अपने खर्च में वृद्धि की बात कही, जबकि केवल 3.2% ने उपभोग में कमी की सूचना दी—यह आंकड़ा सर्वे शुरू होने के बाद से सबसे कम है. मासिक आय का 65.57% हिस्सा अब उपभोग पर खर्च हो रहा है, जो सितंबर 2024 में 60.87% था. यह बढ़ता खर्च ग्रामीण परिवारों की बढ़ी हुई क्रय शक्ति और आर्थिक आत्मविश्वास को दर्शाता है. 

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सरकारी सहायता: ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़
सरकारी योजनाओं और वित्तीय हस्तांतरण ने ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से खाद्य, बिजली, रसोई गैस, उर्वरक, स्कूल की जरूरतों, परिवहन, भोजन, पेंशन, और ब्याज सब्सिडी जैसी योजनाओं ने परिवारों की आय का लगभग 10% हिस्सा प्रदान किया. इन हस्तांतरणों ने विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए आर्थिक दबाव को कम किया और उनकी आर्थिक लचीलापन को बढ़ाया.

वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार
सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि 20.6% परिवारों ने अपनी वित्तीय बचत में वृद्धि की सूचना दी, जो बचत की बढ़ती संस्कृति को दर्शाता है. औसतन, परिवार अपनी आय का 13.18% हिस्सा बचत में और 11.85% हिस्सा ऋण चुकाने में खर्च कर रहे हैं. यह न केवल वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है, बल्कि उपभोग के साथ-साथ बचत और ऋण प्रबंधन में संतुलन को भी इंगित करता है.

भविष्य के प्रति मजबूत आशावाद, अल्पकालिक दृष्टिकोण (अगला तिमाही):
56.4% ग्रामीण परिवारों को उम्मीद है कि अगले तिमाही में उनकी आय बढ़ेगी, जो सर्वे के सभी दौरों में सबसे अधिक है. साथ ही, 56.2% परिवारों को अगले तिमाही में बेहतर रोजगार अवसरों की उम्मीद है. यह ग्रामीण भारत में अल्पकालिक आर्थिक दृष्टिकोण के प्रति व्यापक आशावाद को दर्शाता है.

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दीर्घकालिक दृष्टिकोण (अगला एक साल):
74.7% परिवारों को विश्वास है कि अगले 12 महीनों में उनकी आय बढ़ेगी, जो सर्वे के इतिहास में सबसे अधिक है. अनुकूल मानसून और बेहतर बुनियादी ढांचे ने इस आत्मविश्वास को और मजबूत किया है. 

सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि केवल 2.6% परिवारों ने बुनियादी सेवाओं जैसे सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, और स्वास्थ्य में किसी भी कमी की सूचना दी, जो इन क्षेत्रों में संतुष्टि के बढ़ते स्तर को दर्शाता है.वित्तीय समावेशन और औपचारिक ऋण की बढ़ती स्वीकार्यतावित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने वाली नीतियों के कारण, ग्रामीण परिवार तेजी से औपचारिक वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों, सहकारी समितियों, एनबीएफसी, और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों से ऋण ले रहे हैं. रिकॉर्ड 52.6% परिवारों ने बताया कि उन्होंने केवल औपचारिक स्रोतों से ऋण लिया, जबकि 26.9% ने औपचारिक और अनौपचारिक दोनों स्रोतों से उधार लिया. 

अनौपचारिक ऋणों पर औसत ब्याज दर 17.53% तक कम हो गई, जो पिछले दौर से 30 आधार अंक कम है. इसके अलावा, 30% परिवारों ने अनौपचारिक ऋणों पर कोई ब्याज नहीं चुकाया, मुख्य रूप से दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेने के कारण, जो सामुदायिक वित्तीय समर्थन को दर्शाता है.बुनियादी ढांचे में सुधार76.1% परिवारों ने बताया कि पिछले एक साल में ग्रामीण बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है. सड़क, बिजली आपूर्ति, पेयजल, स्वास्थ्य सेवाएं, और शैक्षणिक संस्थानों में निरंतर प्रगति देखी गई है.

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