Poultry Farming Tips: बिना पोल्ट्री फार्म के भी कर सकते हैं मुर्गी पालन! ये है तरीका

अगर आपके घर के आगे-पीछे, अगल-बगल खाली जमीन है तो वहां मुर्गियों का पालन किया जा सकता है. ऐसी जगह पर मुर्गी पालन के लिए आपको अधिक पैसे भी नहीं खर्च करने होंगे. साथ ही मुर्गी पालन के लिए उपयोग होने वाले श्रम के लिए भी ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. आइए जानते हैं तरीका.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

Backyard Poultry Farming: ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मुर्गी पालन एक लोकप्रिय व्यवसाय के तौर पर उभर कर सामने आया है. किसान मुर्गी पालन की अलग-अलग तकनीकों का प्रयोग करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इस बीच किसानों को बैकयार्ड मुर्गी पालन के लिए बड़े स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है. मुर्गी पालन की ये तकनीक किसानों के लिए किफायती भी साबित हो रही है. 

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ज्यादा श्रम की आवश्यकता नहीं

अगर आपके घर के आगे-पीछे, अगल-बगल खाली जमीन है तो वहां मुर्गियों का पालन किया जा सकता है. ऐसी जगह पर मुर्गी पालन के लिए आपको  अधिक पैसे भी खर्च नहीं करने होंगे. साथ ही मुर्गी पालन के लिए उपयोग होने वाले श्रम के लिए भी ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी. 

इस नस्ल की मुर्गियों का पालन

इन जगहों पर आप कड़कनाथ, ग्रामप्रिया, स्वरनाथ, केरी श्यामा,  श्रीनिधि, वनराजा, कारी उज्जवल और कारी जैसी मुर्गियों को पाल सकते हैं. इन मुर्गियों के पालन पर राज्य और केंद्र सरकार तरह-तरह की सब्सिडी भी देती हैं. इसके अलावा आपको बैंकों से लोन भी मिलता है.

मुर्गियों के रख-रखाव पर ज्यादा खर्च नहीं

बैकयार्ड में पाली जाने वाली मुर्गियों पर अनाज का खर्चा भी ज़्यादा नहीं पड़ता. खुले में पालन करने पर आहार की मात्रा आधी हो जाती है, क्योंकि ये बाहर चरती हैं. ये फसल अवशेष को आहार के रूप में खाती हैं. फसल पर लगने वाले कीटों को भी ये मुर्गियां खा जाती हैं. इस तरह से इन्हें पोषक तत्व तो मिलता ही है साथ ही ये फसल को नुकसान से भी बचाती हैं. अगर मुर्गियो को दाना देना भी पड़े तो एक मुर्गी को प्रतिदिन 45-50 ग्राम दाना दिया जाता है.  

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बढ़िया है मुनाफा

बैकयार्ड मुर्गियों को तैयार होने में ज़्यादा दिन इंतज़ार नहीं करना पड़ता. देसी मुर्गियां 7 से 8 महीने में तैयार होती है. वहीं, ये उन्नत नस्ल की बैकयार्ड मुर्गियां 4-5 महीनों के अंदर एक से डेढ़ किलो तक की हो जाती हैं. साथ ही जहां ब्रॉयलर 60 से 70 रुपये में बिकता है वहीं अन्य बैकयार्ड या देसी मुर्गा 300 रुपये में बिकता है. अगर किसान कड़कनाथ मुर्गी पालन करता है, तो मुर्गा 700 से लेकर हज़ार रुपये  प्रति किलों तक बिक जाता है. अगर आप अच्छी खासी संख्या में मुर्गियों को पालते हैं तो ये सालाना आपको लाखों का मुनाफा दे सकती हैं. इसके अलावा आप इनके मांस को बाजार में बेचकर अच्‍छा मुनाफा कमा सकते हैं.

 

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