भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. यहां जितने बड़े पैमाने पर मछलियां पाली जाती हैं, उतनी ही इनकी खपत भी है. यहां बड़े शौक से लोग मछलियों से बने अलग-अलग डिशेज ट्राई करते हैं. क्या आपको पता है कि इन मछलियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है. दरअसल, प्रदूषित वातावरण में पाली गई मछलियों में लेड और कैडियम की अधिक मात्रा पाई जाती है. इन्हें खाने से बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.
मछली पालन में सही तालाब का चुनाव कितना जरूरी
मछली पालन कभी स्थिर पानी में नहीं करना चाहिए. ऐसे में ध्यान रखें जिस भी तालाब को मत्स्य पालन के लिए चयनित किया जा रहा है, उसमें पानी के बहाव की व्यवस्था सही होनी चाहिए. दरअसल, स्थिर पानी में शैवाल बढ़ जाते हैं. इसके चलते तालाब के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा कम होकर नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है. ये मछलियों के स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक होती है. इससे मछलियां मर जाती हैं, या फिर बीमार हो जाती हैं. इनका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. तालाबों में ऑक्सीजन की मात्रा को बरकरार रखने के लिए एयरेटर लगाए जाते हैं. तालाब के पास साबुन का इस्तेमाल, कूड़े का ढेर मछलियों के लिए फायदेमंद साबित नहीं होते.
इस तरीके से पाली जा रही मछलियां स्वास्थ्य के लिए खतरनाक
मछलियों को एंटीबायोटिक दवाओं, कीटनाशकों के इस्तेमाल के साथ पाला जा रहा है. इससे मछलियों में एंटी-माइक्रोबियल बैक्टेरिया बढ़ने का खतरा होता है. इन मछलियों को खाने से इंसानों को भारी नुकसान हो सकता है. यही कराण है कि एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के चलते अमेरिका ने 2019 में भारतीय झींगा मछलियों की खेप वापस कर दी थी.
इंसान पर पड़ता है ये असर
विशेषज्ञों के अनुसार एंटीबायोटिक दवाएं सभी के लिए नुकसानदायक है. मछलियों में इनका उपयोग बेहद खराब स्थिति है. इन मछलियों के खाने के बाद आप कभी भी बीमार पड़ते हैं तो एंटीबायोटिक दवाएं आप पर असर नहीं करेंगी. ये स्थिति आपकी सेहत के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकती है.
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