मुर्गी की इस नस्ल के आगे कड़कनाथ भी फेल, 100 रुपये में बिकता है अंडा

मांस उत्पादन के लिए असील मुर्गियां और मुर्गों का पालन किया जाता है. अंडे उत्पादन के मामले में इनकी मुर्गियां कमजोर मानी जाती हैं. इस मुर्गी के अंदर सालाना सिर्फ 60 से 70 अंडे देने की क्षमता है. इसके अंडे की कीमत काफी ज्यादा होती है. असील मुर्गी का एक अंडा 100 रुपये में खरीदा जाता है.

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Asil chicken Asil chicken

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 7:55 PM IST

ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन बेहद तेजी से लोकप्रिय हुआ है. इसका फायदा ये हुआ कि अंडे और मीट के उत्पादन में भी वृद्धि हुई. इस बीच सरकार किसानों को पोल्ट्री फार्मिंग का व्यवसाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. पोल्ट्री फार्मिंग की शुरुआत करने के लिए किसानों को बंपर सब्सिडी दी जा रही है.

100 रुपये में बिकता है असील मुर्गी का एक अंडा

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मीट उत्पादन के लिए असील मुर्गियां और मुर्गों का पालन किया जाता है. अंडे उत्पादन के मामले में इनकी मुर्गियां कमजोर मानी जाती हैं. इस मुर्गी के अंदर सालाना सिर्फ 60 से 70 अंडे देने की क्षमता है. इसके अंडे की कीमत काफी ज्यादा होती है. असील मुर्गी का एक अंडा 100 रुपये में खरीदा जाता है. इसके अंडे का सेवन आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है.

कैसा होता है इनका आकार?

असील मुर्गी का मुंह लंबा और बेलनाकार होता है जो कि पंखों, घनी आंखों, लंबी गर्दन वाला होता है. इनकी मजबूत और सीधी टांगे होती हैं. इस नसल के मुर्गे का भार 4-5 किलो और मुर्गी का भार 3-4 किलो होता है. इसके कोकराल (युवा मुर्गे) का औसतन भार 3.5-4.5 किलो और पुलैट्स (युवा मुर्गी)  का औसतन भार 2.5-3.5 किलो पाया जाता है. बता दें कि देश में कई जगह मुर्गी या मुर्गों की लड़ाई चलन में हैं. ऐसे में असील नस्ल की मुर्गी और मुर्गों को लड़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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इन राज्यों में पाई जाती असील मुर्गियां

बता दें कि असील मुर्गी की नस्ल दक्षिणी पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है. इसके सभी नस्लों में रेजा (हल्की लाल), टीकर (भूरी), चित्ता (काले और सफेद सिल्वर), कागर (काली), Nurie 89 (सफेद), यारकिन (काली और लाल) और पीला (सुनहरी लाल) नस्लें बेहद मशहूर है.

 

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