ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन आय का सबसे बढ़िया स्रोत बना है. किसानों की आय बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने कई देसी गाय और भैंसों की नस्लों को मान्यता दी है. कर्नाटक की धारवाड़ी भैंस इन्हीं नस्लों में शामिल है. इस भैंस के दूध से फेमस धारवाड़ पेड़ा बनाया जाता है. इस पेड़ें को जीआई टैग मिला हुआ है. धारवाड़ पेड़े की मार्केट में बढ़िया डिमांड है. ऐसे में इस नस्ल का पालन कर किसान जबर्दस्त मुनाफा कमा सकते हैं.
कर्नाटक में बड़े स्तर पर किया जाता है इस भैंस का पालन
धारवाड़ी भैंस को INDIA_BUFFALO_0800_DHARWADI_01018 एक्सेशन नंबर भी मिला है. इस भैंस का पालन कर्नाटक में बड़े स्तर पर पालन किया जाता रहा है. इस भैंस के पालन से बढ़ते हुए मुनाफे को देखते हुए अब अन्य राज्य के पशुपालक भी इसे अपने बेड़े में शामिल करने की दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
एक ब्यांत में 972 लीटर तक दूध
ICAR के ट्विटर हैंडल के मुताबिक, एक ब्यांत में ये भैंस 972 लीटर तक दूध देती है. साथ ही इस भैंस में रोजाना 3.24 लीटर दूध देने की क्षमता है. छोटे किसान इस भैंस का पालन करके बढ़िया मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
धारवाड़ पेड़ों की दुनियाभर में डिमांड
धारवाड़ पेड़ों की पूरी दुनिया में खास डिमांड है. इस जीआई टैग मिठाई की खासियत ये है कि इसे 15-20 दिनों तक स्टोर किया जा सकता है, यह जल्दी खराब नहीं होती है. बता दें कि कई-कई बड़ी हस्तियों की पसंदीदा मिठाई में भी धारवाड़ पेड़ा शामिल रहा है.
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