मुजफ्फरपुर: लीची के बागों में कड़कनाथ जैसे मुर्गों की फार्मिंग, देखें कैसे लाभ उठा रहे किसान

मुजफ्फरपुर के लीची किसानों (Litchi Farmers) की आमदनी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र लीची के बागों में ओपन मुर्गा फार्मिंग (Poultry Farming) करके कड़कनाथ, वनराजा, शिप्रा जैसी मशहूर नस्लों का मुर्गी पालन (Poultry Farming) कर रहा है.

Advertisement
Poultry farming in Muzaffarpur (फोटो-मणिभूषण शर्मा) Poultry farming in Muzaffarpur (फोटो-मणिभूषण शर्मा)

मणिभूषण शर्मा

  • मुजफ्फरपुर,
  • 27 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 7:44 PM IST
  • लीची के बागान में किया जा रहा मुर्गी पालन
  • देसी नस्लों की मुर्गा फार्मिंग से किसानों को लाभ

बिहार के मुजफ्फरपुर की रसभरी और लाल रंग की दमकती लीची देश के राज्यों में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निर्यात होती रही है. अब मुजफ्फरपुर के लीची किसानों (Litchi Farmers) की आमदनी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र लीची के बागों में ओपन मुर्गा फार्मिंग (Poultry Farming) करके कड़कनाथ, वनराजा, शिप्रा जैसी मशहूर नस्लों का मुर्गी पालन (Poultry Farming) कर रहा है.

Advertisement

लागत कम होने से किसानों को लाभ
लीची बागान में मुर्गा फार्मिंग (Poultry Farming) से लीची के पेड़ों को भी लाभ है. वहीं, मुर्गा पालन में भी लागत कम आती है. ऐसे में किसानों को लाभ मिल रहा है. 

सर्वोत्तम देसी नस्लों के मुर्गों का पालन
मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में ओपन फार्मिंग के तहत देश के सर्वोत्तम देसी नस्लों के मुर्गों को पाला जा रहा है. जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कड़कनाथ, वनराजा और शिप्रा जैसे देसी मुर्गें शामिल हैं. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुशहरी में हो रहे इस ओपन फार्मिंग के नतीजे काफी सकारात्मक आए हैं. जिसके बाद अब संस्थान इस इंटीग्रेटेड फार्मिंग को लेकर जिले में लीची की बागवानी करने वाले किसानों को प्रशिक्षित कर रहा है.

kadaknath Murgi Palan

मुर्गे और लीची दोनों के लिए क्या फायदा?
लीची के बागानों में देसी मुर्गों के ओपन फार्मिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें देसी मुर्गे और लीची के बाग दोनों एक दूसरे के लिए अनुपूरक का काम कर रहे हैं. लीची बागान में इन देसी मुर्गों के ओपन फार्मिंग से बगीचों में उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल की जरूरत आधी से भी कम हो गई है. जिससे लीची की गुणवत्ता और साइज में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की मानें तो इससे ऑर्गेनिक लीची के उत्पादन को एक नई राह मिली है.

Advertisement

वहीं, अगर देसी मुर्गों की फार्मिंग की नजर से देखा जाए तो लीची के बागानों में इन मुर्गों के पालन में आने वाला खर्च भी आधा हो जाता है. खुली जगह में मुर्गों को प्राकृतिक वातावरण मिलता है. जिसमें उनकी ग्रोथ तेजी से होती है. लीची के बगीचे में मिलने वाले कीट और लीची के सड़े फलों से मुर्गो को भोजन भी मिलता है.


 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement