किसानों ने दी हिमाचल विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की चेतावनी, ये है बड़ी वजह

हिमाचल में सालाना औसतन 5.50 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. हजारों लोगों की अर्थव्यवस्था सेब की खेती पर निर्भर है. ऐसे में बेची गई फसल का भुगतान नहीं होने की वजह से किसान बेहद परेशान हैं.

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Shimla apple farmers warned to boycott assembly elections Shimla apple farmers warned to boycott assembly elections

aajtak.in

  • शिमला,
  • 05 मई 2022,
  • अपडेटेड 7:20 AM IST
  • सालाना 5.50 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन
  • 5500 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व

हिमाचल प्रदेश अधिकतर किसानों की रोजी-रोटी सेब की खेती पर निर्भर है. ऐसे में पिछली फसल का भुगतान अभी तक नहीं मिलने पर उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं.किसानों का कहना है कि वह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. फल कमीशन एजेंटों ने उनकी बेची गई फसल का भुगतान नहीं किया है. सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल किसानों को न्याय दिलाने में विफल रहा है. 

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किसान संयुक्त किसान मंच ने किसानों से एक साथ आने और इन मुख्य मांगों के लिए संघर्ष जारी रखने की अपील की है. उनका कहना है कि जब तक कि सरकार उनके मांगों को लागू नहीं करती तब तक वे विधानसभा चुनावों को बहिष्कार करेंगे.

किसानों का कहना है कि इस साल क्षेत्र में सूखे जैसी स्थिति को लेकर किसान पहले से ही चिंतित हैं. पिछले साल की गाढ़ी कमाई को आढ़तियों ने लूट लिया है. ये किसान अपना विरोध तब तक जारी रखेंगे जब तक उन्हें अपनी पहले ही बिक चुकी फसल का पैसा नहीं मिल जाता.

हिमाचल प्रदेश में खेती के लिए 11 लाख हेक्टेयर से अधिक उपलब्ध है. इसमें से 2 लाख हेक्टेयर में फलों के बाग हैं. सेब की फसल राज्य के फलों के पेड़ों के लगभग 50% (एक लाख हेक्टेयर) क्षेत्र को कवर करती है. हिमाचल में सालाना औसतन 5.50 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है, हजारों लोगों की अर्थव्यवस्था सेब की खेती पर निर्भर है. इससे राज्य के लोगों को 5500 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है. इस साल सेब किसान चिंतित हैं क्योंकि उन्हें पिछले साल बेची गई फसल के लिए पैसे नहीं मिले और अगर सूखे जैसी स्थिति बनी रही तो वे इस साल भी अच्छी फसल नहीं होगी, जिससे आमे वाले वक्त में बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

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