अब हरा-भरा होगा रेगिस्तान! जानें क्या है KVIC का प्रोजेक्ट बोल्ड

स्वतंत्रता के 75 वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के साथ ही केवीआईसी ने "खादी बांस महोत्सव" की पहल शुरू की  है. केवीआईसी इस साल अगस्त तक राजस्थान के साथ-साथ गुजरात के अहमदाबाद जिले के गांव धोलेरा और लेह-लद्दाख क्षेत्र में भी इस परियोजना को लागू करने को तैयार हैं

Advertisement
Project bold of KVIC Project bold of KVIC

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 7:33 AM IST
  • मरुस्थलीय क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ावा देना है उद्देश्य
  • भारत में बांस की 136 प्रजातियों की 13.96 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के तहत खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने प्रोजेक्ट बोल्ड पर काम कर रही है. इस परियोजना का उद्देश्य जननजातीय ग्रामीणों को स्वरोजगार का बढ़ावा देना मरुस्थलीय क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य पर काम किया जा रहा है. इसी के तहत 28 जुलाई को बीएसएफ के जवानों के मदद से राजस्थान के जैसलमेर में 1000 बांस के पौधे लगाए गए.

Advertisement

राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी लगाए जाएंगे बांस के पौधे

स्वतंत्रता के 75 वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के साथ ही केवीआईसी ने "खादी बांस महोत्सव" की पहल शुरू की  है. केवीआईसी इस साल अगस्त तक राजस्थान के साथ-साथ गुजरात के अहमदाबाद जिले के गांव धोलेरा और लेह-लद्दाख क्षेत्र में भी इस परियोजना को लागू करने को तैयार हैं. 21 अगस्त से पहले कुल 15,000 बांस के पौधे लगाए जाएंगे. इसमें बंबुसा टुल्डा और बम्बुसा पॉलीमोर्फा जैसी बांस की प्रजाति को महत्व दिया जा रहा है, जिसे विशेष रूप असम से मंगाया गया है.
बांस के पर्यावरणीय लाभ

भारत में बांस की 136 प्रजातियों के साथ 13.96 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है. इसकी खेती से रेतीले इलाकों में हरियाली तो बढ़ेगी ही, साथ ही आर्थिक लाभ होगा. बांस का उपयोग फर्नीचर, हस्तशिल्प, पेपर पल्प, निर्माण कार्य आदि के लिए किया जा ता है. साथ ही इसके पौधे को पानी के संरक्षण और भूमि की सतह से पानी के वाष्पीकरण को कम करने के लिए भी जाना जाता है, जो शुष्क और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण विशेषता है. साथ ही ये पौधा जलवायु में 35% तक कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने की भी क्षमता रखता है.

Advertisement

ग्रामीण आदिवासियों को मिलेगा लाभ

बांस वृक्षारोपण कार्यक्रम से मरुस्थलीय क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़वा मिलेगा. इस तरह की परियोजनाओं से क्षेत्र में बड़ी संख्या में महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. इसके अलावा बांस का उपयोग निर्माण उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. इससे लकड़ी, ईंट और स्टील की से निर्माण किए गए संरचनाओं के मुकाबले कम लागत लगेगी.अधिक जानकारी के लिए आप खादी ग्रामोउद्योग के वेबसाइट पर भी विजिट कर सकते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement