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ISIS-K ने की थी पेशावर में सिख हकीम की हत्या, ताबड़तोड़ चलाई गोलियां

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए  ISIS-K इस हमले की जिम्मेदारी ली है. ये हमला गुरुवार को किया गया था जब सरदार सतनाम सिंह अपने क्लीनिक पर थे. चार लोगों ने उनके केबिन में घुस उन्हें गोलियों से भून दिया.

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ISIS-K ने की थी पेशावर में सिख हकीम की हत्या
ISIS-K ने की थी पेशावर में सिख हकीम की हत्या
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ISIS-K ने की है पेशावर में सिख हकीम की हत्या
  • सोशल मीडिया पर डाला पोस्ट, नहीं बताई वजह
  • आरोपी अभी भी फरार, पुलिस खाली हाथ

पाकिस्तान के पेशावर में सिख हकीम सरदार सतनाम सिंह की हत्या मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. इस हमले की जिम्मेदारी ISIS-K ने ले ली है. ये वहीं आतंकी संगठन है जिसने काबुल एयरपोर्ट पर हमला किया था और 170 से ज्यादा अफगानों ने अपनी जान गंवा दी थी.

सिख हीकम को ISIS-K ने मारा

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए  ISIS-K ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. ये हमला गुरुवार को किया गया था जब सरदार सतनाम सिंह अपने क्लीनिक पर थे. चार लोगों ने उनके केबिन में घुस उन्हें ताबड़तोड़ गोलियों से भून दिया. उन पर चार बार फायर किया गया और उनकी मौके पर ही मौत हो गई. इस घटना के बाद सभी आरोपी भागने में कामयाब रहे जिन्हें अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है.

कौन हैं सरदार सतनाम सिंह?

जानकारी के लिए बता दें कि सरदार सतनाम सिंह पिछले 20 साल से पेशावर में रह रहे थे. वे धर्मेंद्र फॉर्मेसी के नाम से अपनी दुकान चला रहे थे. सिख समुदाय में तो उनकी अच्छी-खासी पहचान थी. लेकिन फिर भी हमलावरों ने उन्हें अपना निशाना बनाया और उन्हें गोलियों से भून दिया गया. अब अफगानिस्तान की धरती पर सक्रिय ISIS-K ने सिख समुदाय के एक शख्स को क्यों अपना निशाना बनाया, ये साफ नहीं हो पाया है. सतनाम की मौत के बाद उनकी एक पत्नी, तीन बेटियां और दो बच्चे एकदम अकेले पड़ गए हैं.

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पंजाब सरकार के खोखले वादे

खैबर पख्तूनख्वा के सीएम महमूद खान ने इस हमले की निंदा की है और आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ने का फरमान सुनाया है. लेकिन उस फरमान के बावजूद भी पुलिस अभी खाली हाथ है और आरोपी फरार चल रहे हैं. वैसे पेशावर में सिखों पर ये कोई पहला हमला नहीं है. पाकिस्तान में कई मौकों पर अल्पसंख्यों को निशाना बनाया गया है. 

साल 2018 में चरणजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी. बाद में एक न्यूज एंकर रविंदर सिंह को भी मार दिया गया था. ऐसे में पेशावर में सिखों पर हमले का इतिहास पुराना है, लेकिन सरकार कोई सख्त फैसला नहीं ले रही. खोखले वादे जरूर हो रहे हैं जो हर घटना के बाद सिर्फ एक्सपोज हो जाते हैं.

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