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अपनी दुश्मनी के बीच में भारत को ले आए ईरान और इजरायल, दिल्ली में ही छिड़ा 'संग्राम'

भारत में इजरायल के नए दूत नाओर गिलोन ने नई दिल्ली में अपनी पहली मीडिया ब्रीफिंग के दौरान एक बड़ा बयान दिया है. इस बयान के बाद से ही इजरायल और ईरान के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है.

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एस जयशंकर फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स
एस जयशंकर फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स
स्टोरी हाइलाइट्स
  • इजरायल के राजदूत ने ईरान को सुनाई खरी-खोटी
  • ईरान ने कहा- भारत को इजरायल से रहना चाहिए दूर

भारत में इजरायल के नए दूत नाओर गिलोन ईरान और इजरायल की दुश्मनी के बीच में भारत को ले आए. उन्होंने गुरुवार को इजरायल, भारत, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के नए गठबंधन को लेकर बात करते हुए कहा कि ये किसी एक देश के खिलाफ नहीं है लेकिन इन सभी देशों के साथ आने का कारण ईरान द्वारा फैलाई जा रही अस्थिरता है. इस समूह को मध्य-पूर्व का क्वॉड भी कहा जा रहा है.

उन्होंने कहा कि हम किसी एक देश के खिलाफ नहीं हैं. हम डिप्लोमैट्स हैं और राजनेता हैं. हमारा कर्तव्य है कि हम अपने देश के लोगों के जीवन को बेहतर बनाएं. मेरा मानना है कि आर्थिक, बुनियादी और सहयोग के स्तर पर इन देशों के गठबंधन में काफी संभावनाएं हैं. खाड़ी देशों के साथ हमारे संबंधों के बेहतर और खुला होने का एक बड़ा कारण ईरान को लेकर भय और साझा चिंता भी है. ईरान इस क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने वाला सबसे बड़ा देश है. ये देश यमन से लेकर लेबनान और इराक से लेकर सीरिया और बहरीन हर जगह अस्थिरता पैदा कर रहा है.

इजरायल और ईरान के बीच तीखी तकरार

इजरायल के राजनयिक के बयान के बाद नई दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास से भी तीखी प्रतिक्रिया आई. ईरान के दूतावास ने बयान जारी करते हुए कहा कि ये प्रतिक्रिया रोमांच की फिराक में मशगूल एक डिप्लोमैट की बचकानी टिप्पणी को लेकर है. इस बयान में लिखा था कि इजरायल आतंक का देश है जिसकी अवैध सरकार फिलीस्तीनियों और मध्य-पूर्व के कुछ देशों में रक्तपात और नरसंहार में शामिल रही है.

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इस बयान में आगे लिखा था कि एक ऐसा देश जिसका नाम पेगासस जैसे सॉफ्टवेयर से जुड़ा, जिसने पूरी दुनिया की प्राइवेसी को नकारात्मक तौर पर प्रभावित किया है. सीरिया और लेबनान में अन्य क्षेत्रों पर कब्जे और आक्रमण के इतिहास के साथ-साथ काना, कफर कासेम, सबरा और शतीला शिविरों में निर्दोष लोगों के खिलाफ अत्याचार और वॉर क्राइम का इजरायली इतिहास किसी से छिपा नहीं है. आखिर ऐसा देश कैसे शांति गठबंधन की सलाह दे सकता है और दूसरे मुल्कों पर आरोप लगा सकता है जिन्होंने इस क्षेत्र में उग्रवाद के शिकार लोगों को बचाया है. 

ईरान बोला, इजरायल के चंगुल में ना फंसे भारत

इस स्टेटमेंट के अंतिम हिस्से में भारत का नाम लिए बगैर ईरान ने अपने साथी देशों को सलाह भी दी है कि वे इजरायल के चंगुल में ना फंसे. इस बयान में लिखा था कि इजरायल का इतिहास मानवाधिकारों के हनन, बच्चों की हत्याएं और इनके दुष्ट-दिमाग वाले यहूदी राजदूतों की बचकानी टिप्पणियों से भरा हुआ है, यकीनन शांति के महान इतिहास वाली महान सभ्यताएं ऐसे स्वार्थी और खून के प्यासे शासन के जाल में नहीं फंसेंगी.

इजरायली राजदूत बोले, भारत और इजरायल की दोस्ती है गहरी

राजदूत गिलोन ने ये भी कहा कि उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की इजरायल यात्रा के दौरान अफगानिस्तान के हालात को लेकर चर्चा भी की थी. उन्होंने कहा था कि सामान्य तौर पर विदेशी संबंधों में समझौते होते हैं और प्रत्येक देश की अपनी राय और दिलचस्पी होती है. मैं खुशी के साथ कह सकता हूं कि भारत और इजरायल ने जिस तरह से हालात को देखा, दोनों ही देशों का नजरिया काफी हद तक एक जैसा था. जाहिर है, हर देश का अपना अलग नजरिया होता है. भारत की दिलचस्पी अलग है. इजरायल की रुचि अलग है. लेकिन हम दोनों नजरियों का सम्मान करते हैं क्योंकि भारत-इजरायल के संबंध काफी घनिष्ठ हैं. 

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इजरायल के नए राजदूत ने कश्मीर में सीमा-पार आतंकवाद को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक भयानक बीमारी है और इससे पूरी दुनिया पीड़ित है. हम दोनों देशों को इसके चलते काफी नुकसान उठाना पड़ा है. पिछले कुछ सालों में हमने अपनी क्षमताओं और तकनीक में इजाफा किया है. जब बात आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की आती है, तो हम पूरी तरह से सहयोग करने के लिए तत्पर हैं. आतंकवाद को इस दुनिया से खत्म करना ही होगा. लोगों को अपने द्वंद सुलझाते हुए मुद्दे हल करने होंगे, आतंकवाद से या निर्दोष लोगों को मारकर कुछ हासिल नहीं होगा. हम किसी भी देश के साथ सहयोग के लिए तैयार हैं, खासतौर पर भारत के साथ जो इजरायल की तरह ही आतंकवाद से जूझ रहा है.  


 

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