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चीनी राजनयिक ने जमकर की पाकिस्तान की बुराई, चारों तरफ मच गया हंगामा

चीन और पाकिस्तान की CPEC परियोजना के तहत चीन बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर में एयरपोर्ट, गहरे पानी का बंदरगाह और आर्थिक जोन का निर्माण कर रहा है. इसी परियोजना को लेकर हाल ही में अंग्रेजी अखबार 'द गार्जियन' की रिपोर्ट में एक चीनी राजनयिक अधिकारी के हवाले से पाकिस्तान की आलोचना की गई है. इस्लामाबाद में चीनी दूतावास ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है. वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी किया है.

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शहबाज शरीफ और शी जिनपिंग
शहबाज शरीफ और शी जिनपिंग

चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) परियोजना के तहत चीन पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर में एयरपोर्ट, गहरे पानी का बंदरगाह और आर्थिक जोन का निर्माण कर रहा है. इसी परियोजना को लेकर हाल ही में अंग्रेजी अखबार 'द गार्जियन' की एक रिपोर्ट चर्चा का विषय बन गई है. रिपोर्ट में दोनों देशों की इस परियोजना को लेकर एक चीनी राजनयिक अधिकारी के हवाले से पाकिस्तान की आलोचना की गई है. अब रिपोर्ट को लेकर इस्लामाबाद में चीनी दूतावास ने सफाई पेश की है और इसे भ्रामक करार दिया है.

द गार्जियन की रिपोर्ट में चीनी राजनियक के हवाले से क्या कहा गया?

अखबार की रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान के लिए चीन की राजनीतिक सचिव वांग शेंगजी ने उन्हें (द गार्जियन) को इस्लामाबाद में एक इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में चीनी राजनयिक ने सीपीईसी परियोजना को लेकर गहरी चिंता जताई. इसके साथ ही पाकिस्तान की सुरक्षा पर सवाल उठाया. 

अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में चीन की राजनयिक सचिव वांग शेंगजी के हवाले से कहा गया कि, पाकिस्तान में जिस तरह की सुरक्षा है, वह चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के भविष्य को लेकर गंभीर चिंता का विषय है

अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी राजनयिक ने इंटरव्यू में कहा कि अगर पाकिस्तान में सुरक्षा बेहतर नहीं होती है तो कौन यहां आएगा और कौन इस माहौल में काम करेगा. बलूचिस्तान और ग्वादर में चीन के खिलाफ बहुत ज्यादा नफरत है. कुछ बुरी ताकतें इस परियोजना के खिलाफ हैं और वह इसे बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं.

द गार्जियन की रिपोर्ट में कई स्थानीय लोगों के भी हवाले से कई बाते कही गईं. द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, यह सभी वह लोग हैं जो अरबों डॉलर की इस परियोजना को लेकर बिल्कुल भी खुश नहीं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि, एक समय ग्वादर को ये कहकर प्रचारित किया जा रहा था कि इसे 'पाकिस्तान का दुबई' बना दिया जाएगा, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं किया गया.

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पाकिस्तान में चीनी दूतावास ने रिपोर्ट में चीनी राजनयिक का जो बयान लिखा गया है, उसे पूरी तरह से गलत बताया है. चीनी दूतावास ने कहा कि, रिपोर्ट में चीनी राजनयिक के बयान में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है, वह पूरी तरह गलत व अविश्वसनीय है और चीन की स्थिति को नहीं दर्शाती है. चीनी दूतावास की ओर से आगे कहा गया कि, बिना इंटरव्यू की सहमति के लेखक की एकतरफा झूठी जानकारियां पेशेवर नीति का उल्लघंन है. 

चीनी दूतावास ने कहा कि, वह हमेशा से ही ग्वादर क्षेत्र में बंदरगाह के निर्माण और बलूचिस्तान के विकास का समर्थन करता आया है. चीन लगातार ग्वादर के स्थानीय लोगों के हित के लिए काम कर रहा है. चीनी दूतावास ने बयान में अपने ऐसे कुछ कार्यों को भी गिनाया जो चीन ने बलूचिस्तान में आम नागरिकों के विकास के लिए किए हैं.

पाकिस्तान में चीनी दूतावास की ओर से आगे कहा गया कि, पिछले साल मार्च महीने में चीन ने बलूचिस्तान में आपदा राहत कार्य के लिए एक लाख डॉलर की आपातकाल आर्थिक मदद की थी. वहीं पिछले साल मई में बलूचिस्तान के लिए चीन ने 10 हजार सॉलर लाइटों के सेट्स भेजे थे. इसके साथ ही जुलाई में बलूचिस्तान के स्थानीय पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल को चीन की यात्रा पर भेजा गया था. इसके साथ ही अगस्त में चीन ने क्षेत्र में 20 हजार हेल्थ किट्स का वितरण भी किया था. 

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चीनी दूतावास ने आगे कहा कि, जल्द ही चीन सरकार की तरफ से पाकिस्तान की बलूचिस्तान यूनिवर्सिटी, सरदार बहादुर और ग्वादर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों को चाइनीज एंबेसडर स्कॉलरशिप दी जाएगी. 

पाकिस्तान ने ब्रिटिश अखबार की रिपोर्ट को लेकर क्या कहा?

दूसरी ओर, चीनी राजनयिक के हवाले से लिखी गई द गार्जियन अखबार की रिपोर्ट का पाकिस्तान ने भी साफ तौर पर खंडन कर दिया. पाकिस्तान की ओर से इस रिपोर्ट को लेकर कहा गया कि, वह ऐसे आधारहीन सभी आरोपों को खारिज करते हैं जो पाकिस्तान और चीन की दोस्ती को निशाना बना रहे हैं.  

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि, चीन और पाकिस्तान हमेशा से रणनीतिक साझेदार रहे हैं. चीन और पाकिस्तान के यह संबंध आपसी भरोसे, साझा मूल्यों, प्रमुख चिंताओं के मुद्दों पर समर्थन और क्षेत्रीय-वैश्विक स्थिरता पर प्रतिबद्धता से तैयार हुए हैं."

बलूचिस्तान में चरमपंथी संगठन कर रहे सीपीईसी परियोजना का विरोध

बता दें कि, साल 2015 में शुरू हुई यह परियोजना चीन की महत्वकांक्षी बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा है. इस इनिशिएटिव के पीछे चीन का मकसद कहा जाता है कि इसके जरिए वह एशिया और अफ्रीका तक एक ट्रेड रूट बनाकर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है.

चीन की इस परियोजना का बलूचिस्तान में विरोध भी हो रहा है. कई चरमपंथी संगठन अभी भी सक्रिय हैं, जिनमें बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) भी शामिल है जो एक स्वतंत्र बलूचिस्तान चाहता है. बीएलए का कहना है कि इन परियोजनाओं के बहाने चीन इस क्षेत्र के संसाधनों का दोहन कर रहा है. 

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बलूचिस्तान में चरमपंथी संगठनों ने सुरक्षाबलों और इस परियोजना में लगे चीनी नागरिकों को निशाना बनाना भी शुरू कर दिया है. पिछले कुछ समय में ही क्षेत्र में कई चरमपंथी हमले हो चुके हैं जिनमें कई चीनी नागरिकों की मौत होने की खबर है.

यही वजह है कि परियोजना में तेजी अब कम हो गई है क्योंकि दोनों देशों के बीच सुरक्षा बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. चीन कई बार पाकिस्तान से सुरक्षा बढ़ाने के लिए कह चुका है और वहीं पाकिस्तान भी उसे भरोसा दिलाता रहा है. 

चीन तो यह भी चाहता है कि उस क्षेत्र में चीनी सैनिकों को लगा दिया जाए लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं है. पाकिस्तान अपने क्षेत्र में चीनी सैनिकों को लगाकर अमेरिका या अन्य दूसरे देशों को नाराज करने की बिल्कुल भी स्थिति में नहीं है.

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