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पश्चिम बंगाल: बोंगांव पुलिस ने लॉन्च किया 'पुलिस बंधु' ऐप, भारत में पहली बार केस ट्रैकर की सुविधा

पश्चिम बंगाल के बोंगांव पुलिस ने नागरिकों और पुलिस के बीच के अंतर को कम करने के लिए 'पुलिस बंधु' ऐप लॉन्च किया है. यह प्लेटफॉर्म FIR रजिस्ट्रेशन से लेकर अंतिम रिपोर्ट तक हर चरण को डिजिटल बनाता है. इसका मकसद पारदर्शिता, जवाबदेही और वक्त पर जांच को बढ़ावा देना है.

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'पुलिस बंधु' ऐप से जनता को मिलेगा केस का रियल-टाइम अपडेट (Photo: Rajesh Saha/ITG)
'पुलिस बंधु' ऐप से जनता को मिलेगा केस का रियल-टाइम अपडेट (Photo: Rajesh Saha/ITG)

पश्चिम बंगाल की बोंगांव पुलिस ने 'पुलिस बंधु' नाम का एक एकीकृत डिजिटल पुलिसिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है. इस प्लेटफॉर्म में मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल शामिल है. यह पहल भारत में अपनी तरह की पहला प्लेटफॉर्म है. इसका मकसद केस मैनेजमेंट को सुव्यवस्थित करना, पारदर्शिता बढ़ाना और नागरिकों को न्याय प्रणाली के करीब लाना है. इस पहल का अनावरण आईपीएस दिनेश कुमार ने किया है. यह एक व्यापक जिला पुलिस मैनेजमेंट सिस्टिम है.

'पुलिस बंधु' ऐप पुलिस बल और जनता दोनों को रियल-टाइम अपडेट, बेहतर केस ट्रैकिंग और निर्बाध संचार के साथ सशक्त बनाता है. अब नागरिक अपने एफआईआर की स्थिति को रियल-टाइम में ट्रैक कर सकते हैं और उनकी प्रतियां डाउनलोड कर सकते हैं. 

नागरिक सीधे जांच अधिकारियों (IOs) को फीडबैक भी दे सकते हैं. बोंगांव पुलिस जिले के सभी सात पुलिस स्टेशनों में 'पुलिस बंधु कियोस्क' भी स्थापित किए गए हैं.

वीडियो कॉल से सीनियर अधिकारियों से संवाद

प्लेटफॉर्म की मदद से शिकायतकर्ता मामले का स्टेटस देख सकते हैं या सीनियर अधिकारियों को वीडियो कॉल भी कर सकते हैं. यह सुविधा सहभागी पुलिसिंग और विश्वास को मजबूत करती है. पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार ने बताया कि यह भारत में पहली बार है, जब कोई शिकायतकर्ता सीधे जांच अधिकारी के बारे में सीनियर अधिकारियों को फीडबैक साझा कर सकता है.

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पुलिसिंग और जांच में मदद...

कानून प्रवर्तन पक्ष पर, यह प्लेटफॉर्म कई डिजिटल कार्यों को एकीकृत करता है. इसमें लंबित मामलों, संवेदनशील अपराधों (जैसे रेप और पॉक्सो) पर अलर्ट और अनुपालन की समय सीमा प्रदर्शित करने वाले लाइव डैशबोर्ड शामिल हैं. पर्यवेक्षी अधिकारी समय-सीमा का पालन ट्रैक कर सकते हैं और चार्जशीट दाखिल करने की निगरानी कर सकते हैं, जिससे डिफ़ॉल्ट जमानत जैसी प्रक्रियात्मक चूक को रोका जा सकता है. यह हर साल करीब 5,000 मामलों की निगरानी के लिए डिज़ाइन किया गया है.

 
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