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अजीत भारती से नोएडा पुलिस ने की पूछताछ, CJI बी आर गवई पर की थी आपत्तिजनक टिप्पणी

सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर और यूट्यूबर अजीत भारती को नोएडा पुलिस ने CJI पर की गई टिप्पणी को लेकर पूछताछ के लिए बुलाया. लंबी पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ा गया. अजीत ने कहा कि यह पत्रकारों के जीवन का हिस्सा है और आगे कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. मामले ने सोशल मीडिया और पत्रकारों के अधिकारों पर बहस तेज कर दी है.

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अजीत भारती को नोएडा के थाना सेक्टर 58 ले जाया गया था. (File Photo: ITG)
अजीत भारती को नोएडा के थाना सेक्टर 58 ले जाया गया था. (File Photo: ITG)

सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर और यूट्यूबर अजीत भारती को मंगलवार को नोएडा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) पर सोशल मीडिया के माध्यम से की गई टिप्पणी को लेकर पूछताछ के लिए बुलाया था. लंबी पूछताछ के बाद करीब 4:30 बजे अजीत भारती को छोड़ दिया गया.

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने CJI पर जूता फेंकने की कोशिश की थी. इस घटना को लेकर अजीत भारती ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. इसके बाद सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इसी को लेकर आज दोपहर में नोएडा थाना सेक्टर 58 पुलिस की टीम अजीत भारती को पूछताछ के लिए बुलाने पहुंची.

शुरुआत में अजीत भारती को थाना सेक्टर 58 ले जाया गया और उसके बाद उन्हें एसीपी 2, नोएडा दफ्तर 12/22 में ले जाया गया. यहां डीसीपी, एडिशनल डीसीपी और एसीपी समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों ने उनसे CJI पर की गई टिप्पणी के विषय में पूछताछ की.

पूछताछ के बाद क्या बोले अजीत भारती?
पूछताछ के बाद बाहर निकलते समय अजीत भारती ने कहा कि वह पत्रकार हैं और पत्रकारों के जीवन में इस तरह की परिस्थितियां कभी-कभी आती रहती हैं. उन्होंने इस पूरे मामले पर आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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वहीं, नोएडा पुलिस ने भी इस पूरे मामले पर कोई बयान देने से बचते हुए स्थिति को शांत बनाए रखने की कोशिश की. इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी अजीत भारती के पक्ष और पत्रकारों के अधिकारों को लेकर बहस तेज हो गई है.

क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट में उस समय मचा जब एक वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की. इस घटना के तुरंत बाद यूट्यूबर और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर अजीत भारती ने अपने चैनल और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. पुलिस का आरोप है कि उनके इन बयानों में ऐसी बातें शामिल थीं, जो जनता को न्यायपालिका के प्रति असंतोष व्यक्त करने या हिंसा को बढ़ावा देने के लिए उकसाने वाली मानी जा सकती हैं.

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