रेलवे सिर्फ सफर का जरिया नहीं, कई कहानियों का भी हिस्सा है. कोई स्टेशन किसी फिल्म जैसा लगता है, तो कहीं की पटरी के किनारे दिख जाता है झरना, धुंध और पहाड़. यही तो है भारतीय रेल की असली खूबसूरती. कुछ स्टेशन ऐसे हैं, जिनका नाम शायद आपने सुना भी न हो, लेकिन जो एक बार वहां गया, उसके दिल में हमेशा बस गए. आइए जानते हैं ऐसे अनोखे ट्रेन स्टेशन के बारे में, जो किसी फिल्म के सीन से कम नहीं लगते.
पठानकोट का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के दिमाग में फौज और सीमावर्ती इलाका आता है. लेकिन इन्हीं पटरियों के बीच कहीं शांति से गुजरती है एक खूबसूरत रेल रत्न, जिसका नाम है कांगड़ा वैली नैरो-गेज लाइन. यह छोटी-सी ट्रेन हरे-भरे पहाड़ों के बीच धीरे-धीरे चढ़ाई करती है. जब आप इस रास्ते से गुजरते हैं, तो ऐसा लगता है मानो चाय के बागान, बहती नदियां और गांवों की सादगी भरी जिंदगी आपके साथ चल रही हों. लोग शहर के शोरगुल से दूर सुकून और शांति की तलाश में हैं, उनके लिए यह सफर किसी खूबसूरत कविता जैसा है.
यह भी पढ़ें: मिनी शिमला, चंपारण क्रांति... बिहार के ये शहर हैं इतिहास और सभ्यता के गवाह
मेट्टुपालयम वो खास स्टेशन है, जहां से नीलगिरि की पहाड़ी ट्रेन अपनी यात्रा शुरू करती है. इस रेलवे को यूनेस्को ने विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. स्टेशन छोटा जरूर है, लेकिन बेहद सुंदर और शांत है. यहीं से रोमांचक सफर की शुरुआत होती है, जहां से ट्रेन हरे-भरे चाय के बागानों और नीलगिरि की धुंध से ढकी पहाड़ियों के बीच से गुजरती है. स्टेशन की पुरानी बनावट और सादगी इसे और खास बनाती है. इसे देखकर लगता है कि यह सिर्फ एक ठहरने की जगह नहीं, बल्कि भारत की सबसे यादगार ट्रेन यात्राओं की शुरुआत करने का एक सुंदर दरवाजा है.
रंगटोंग, पश्चिम बंगाल की पहाड़ियों में बसा एक छोटा-सा स्टेशन है, जो दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे लाइन का हिस्सा है. यहां चारों तरफ धुंध, हरे-भरे चाय के बागान और खूबसूरत पहाड़ियां दिखती हैं. यह जगह भीड़भाड़ वाली नहीं है, बल्कि बहुत शांत और सुकूनभरी है. खास बात यह है कि यहां आप स्थानीय लोगों की सादी जिंदगी को करीब से देख सकते हैं और टॉय ट्रेन की धीमी, खूबसूरत यात्रा का मजा ले सकते हैं. जो लोग पहाड़ों की असली खूबसूरती महसूस करना चाहते हैं, उनके लिए रंगटोंग एक प्यारा ठहराव है.
यह भी पढ़ें: पेरिस से मालदीव तक... कपल के लिए बेस्ट हैं दुनिया के ये रोमांटिक डेस्टिनेशंस
गोवा का दूधसागर स्टेशन किसी आम स्टेशन से कहीं ज्यादा खास है. यह मशहूर दूधसागर झरने के बिलकुल पास स्थित है, जहां ट्रेन झरने के सामने से गुजरती है. खास बात यह है कि जब ट्रेन यहां से गुजरती है, तो वह अपनी रफ्तार धीमी कर देती है, ताकि यात्री झरने और चारों ओर फैली हरियाली का नजारा ले सकें. यहां सिर्फ एक प्लेटफॉर्म है और यह कोई आधिकारिक स्टेशन भी नहीं है. फिर भी, मानसून के मौसम में जब झरना पूरे शबाब पर होता है, तो यह जगह फोटोग्राफरों और यात्रियों के लिए किसी सपने जैसी लगती है.