गुजरात का कच्छ अब सिर्फ अपनी सफेद खारी जमीन के लिए नहीं जाना जाएगा, बल्कि अब यह 4 लाख से ज्यादा फ्लेमिंगो (सुरखाब) का घर बन चुका है. रण की ये खारी जमीन अब पक्षियों के लिए किसी नए स्वर्ग से कम नहीं है, जहां ये गुलाबी पक्षी बड़ी संख्या में बसेरा तो कर ही रहें हैं, साथ में प्रजनन भी कर रहे हैं. इस अद्भुत नजारे को देखकर यही लगता है कि "कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा." कच्छ में इतनी बड़ी संख्या में फ्लेमिंगो का दिखना किसी चमत्कार से कम नहीं है, जिसके पीछे वन विभाग का एक अनोखा और सफल प्रयोग छिपा है.
4 लाख फ्लेमिंगो का अनोखा बसेरा
कच्छ के रेगिस्तानी इलाके में, खासकर खडीर से सांतलपुर जाने वाले 'रोड टू हेवन' के पास, गुलाबी रंग के सुरखाबों की एक विशाल समूह देखा जा रहा है. ये पक्षी, जो सर्दियां अपने वतन में बिताते हैं, अब यहां खडीर बेट के आमरापार और लोद्राणी जागीर के बीच के इलाके की शोभा बढ़ा रहे हैं.
पर्यटकों के लिए यह एक अविश्वसनीय दृश्य है. स्थानीय पर्यटक सताजी सामा बताते हैं कि 'इस मनोरम दृश्य का आनंद लेने के लिए लोग अपनी गाड़ियां रोककर घंटों यहां रुकते हैं. वहीं,पूर्व कच्छ वन विभाग के DCF आयुष वर्मा ने बताया कि जहां पांच साल पहले कच्छ में करीब 1 लाख फ्लेमिंगो थे, आज यह संख्या बढ़कर 4 लाख के पार पहुंच गई है. '
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एशिया की पहली कृत्रिम फ्लेमिंगो सिटी
फ्लेमिंगो की संख्या में इस अभूतपूर्व वृद्धि का श्रेय वन विभाग के एक अनोखे प्रयोग को जाता है, जिसे अब दुनिया में "एशिया की पहली आर्टिफिशियल फ्लेमिंगो सिटी" कहा जा रहा है. दरअसल, कच्छ के कूड़ा में वन विभाग ने कृत्रिम ब्रीडिंग प्लेटफॉर्म बनाए हैं.
ये प्लेटफॉर्म 1 मीटर ऊंचे और 100 मीटर लंबे हैं और इन्हें खास तरीके से डिजाइन किया गया है, ताकि बरसात के पानी में भी ये डूबे नहीं. इस सुरक्षित माहौल के कारण पक्षियों ने इसे अपना घर मान लिया है और यहां बड़े पैमाने पर बच्चे पैदा कर रहे हैं. पहले फ्लेमिंगो की ब्रीडिंग साइट पश्चिम कच्छ में थी, जहां पहुंचना बेहद मुश्किल था, लेकिन अब यह अद्भुत नजारा सड़क मार्ग से आसानी से कुड़ा में देखा जा सकता है.
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खारा और मीठा पानी बना वरदान
फ्लेमिंगो की इतनी बड़ी संख्या में उपस्थिति का एक मुख्य कारण उनका मनपसंद खाना है. फ्लेमिंगो का मुख्य भोजन नीले-हरे शैवाल हैं, जो सिर्फ खारे और मीठे पानी के मिश्रण में ही पैदा होते हैं. वन विभाग इस बात का खास ध्यान रखता है. दरअसल, गर्मियों में जब रण का पानी सूखने लगता है, तो वन विभाग यहां मीठा पानी छोड़ता है, जबकि दूसरी ओर पाकिस्तान की तरफ से आने वाला बाढ़ का पानी प्राकृतिक खारापन जोड़ देता है. यही पानी का संतुलन इन पक्षियों के लिए परफेक्ट फूड कॉम्बिनेशन बनाता है. यही वजह है कि सर्दियां आते ही लाखों फ्लेमिंगो यहां का रुख करते हैं और महीनों रुकते हैं.