केरल आज हवाई यात्रा की दुनिया में नई पहचान बना रहा है. यह भारत का पहला राज्य है, जहां चार-चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं- त्रिवेंद्रम, कोचीन, कालीकट और कन्नूर. इन चार एयरपोर्ट ने न सिर्फ राज्य की उड़ानें बढ़ाई हैं, बल्कि पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए रास्ते भी खोले हैं.
केरल की भौगोलिक स्थिति हमेशा से खास रही है, लेकिन अब इन चार एयरपोर्ट के कारण यह राज्य भारत का हवाई केंद्र बनता जा रहा है. इन हवाई अड्डों के माध्यम से केरल दुनिया के कई हिस्सों से जुड़ गया है, खासकर यूरोप, खाड़ी देशों और दक्षिण-पूर्व एशिया से. इससे न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को सुविधा मिली है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में भी तेजी आई है. इन एयरपोर्ट की वजह से यहां आने वाले सैलानियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पर्यटन से लेकर आयुर्वेद, बैकवॉटर और सांस्कृतिक आयोजनों तक, सब कुछ अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आसानी से पहुंच में आ गया है.
साल 1932 में शुरू हुआ त्रिवेंद्रम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा केरल का सबसे पुराना एयरपोर्ट है. यह राजधानी शहर के साथ-साथ आसपास के जिलों को भी दुनिया से जोड़ता है. इतना ही नहीं यह हवाई अड्डा खासकर सरकारी, राजनयिक (अंतरराष्ट्रीय संबंधों से जुड़ा) और व्यावसायिक यात्राओं के लिए अहम माना जाता है. श्रीलंका और मालदीव जैसे पड़ोसी देशों से जुड़ी उड़ानों के कारण यह दक्षिण भारत का प्रमुख गेटवे बन गया है. इसके अलावा, इसरो और टेक्नोपार्क जैसे बड़े संस्थानों की नजदीकी इसे औद्योगिक और तकनीकी विकास के लिए भी महत्वपूर्ण बनाती है.
यह भी पढ़ें: 2026 का वेलकम विदेश में! ये 6 देश दे रहे हैं वीज़ा-फ्री एंट्री और पार्टी का मौका
कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा न सिर्फ केरल का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है, बल्कि यह दुनिया का पहला पूरी तरह सौर ऊर्जा से चलने वाला हवाई अड्डा भी है. 1999 में शुरू हुआ यह एयरपोर्ट आज यूरोप, मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया से सीधी उड़ानों का मुख्य केंद्र है. इतना ही नहीं यहां से लाखों प्रवासी, सैलानी और व्यापारी हर साल उड़ान भरते हैं. खास बात यह है कि इस हवाई अड्डे की हरित ऊर्जा पहल ने केरल को दुनिया में एक नई पहचान दिलाई है. यही कारण है कि पर्यटन, निर्यात और आयात व्यापार में भी इसका बड़ा योगदान है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिली है.
मालाबार क्षेत्र में स्थित कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा केरल और खाड़ी देशों के बीच एक मजबूत कड़ी के रूप में काम करता है. इस हवाई अड्डे से हर दिन हजारों प्रवासी भारत और मध्य पूर्व के बीच सफर करते हैं. कालीकट एयरपोर्ट न केवल यात्रियों के लिए, बल्कि व्यापार के लिए भी अहम है. यहां से कृषि उत्पादों, मसालों और अन्य सामानों का निर्यात होता है. इससे स्थानीय किसानों और व्यापारियों को सीधा अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलता है.
यह भी पढ़ें: स्विट्जरलैंड का रेस्तरां जहां आंखों पर पट्टी बांधकर खाते हैं लोग, भारत में भी ट्रेंड
केरल की विमानन यात्रा में नया अध्याय तब जुड़ा जब कन्नूर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 2018 में शुरू हुआ. यह हवाई अड्डा उत्तरी केरल के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है, जो पहले अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए लंबी दूरी तय करते थे. कन्नूर, कासरगोड और वायनाड जैसे जिलों को इससे सीधा लाभ मिला है. यही वजह है कि यह एयरपोर्ट अब न सिर्फ व्यापार, बल्कि पर्यटन का नया केंद्र बन रहा है. इतना ही नहीं इसके आसपास के तटीय इलाकों और पहाड़ी इलाकों में पर्यटन गतिविधियां बढ़ने लगी हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं.
चार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट होने से केरल को एक नई पहचान मिली है. इससे अब राज्य का हर हिस्सा दुनिया से जुड़ा है. यही वजह है कि केरल के ये चारों हवाई अड्डे प्रवासी भारतीयों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं. अब उन्हें अपने घर पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करने या बार-बार उड़ान बदलने की जरूरत नहीं पड़ती. सबसे बड़ा असर पर्यटन पर पड़ा है, क्योंकि विदेशी सैलानी अब सीधे केरल पहुंच सकते हैं और यहां के बैकवॉटर, समुद्र तट, आयुर्वेदिक उपचार, हरे-भरे पहाड़ और समृद्ध संस्कृति का आनंद ले सकते हैं. इससे होटल, ट्रैवल एजेंसी, हस्तशिल्प और स्थानीय कारोबार को नई रफ्तार मिली है.
इन एयरपोर्ट के माध्यम से निर्यात और आयात गतिविधियां बढ़ी हैं. केरल के मसाले, समुद्री उत्पाद, कोयर और हैंडीक्राफ्ट अब सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच रहे हैं. इससे राज्य की जीडीपी में भी इजाफा हुआ है और छोटे व्यापारियों के लिए नए दरवाजे खुले हैं. साथ ही, एयरपोर्ट के संचालन और रखरखाव से हजारों लोगों को रोजगार मिला है. यही बड़ा कारण है कि टैक्सी ड्राइवरों, गाइडों, होटल कर्मियों और एयरपोर्ट स्टाफ, हर स्तर पर नौकरियां बढ़ी हैं.