कांचीपुरम कैलाशनाथर मंदिर (Kanchipuram Kailasanathar Temple) तमिलनाडु के कांचीपुरम नगर में स्थित एक अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और दक्षिण भारत की द्रविड़ स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है. कैलासनाथर मंदिर को कांचीपुरम का सबसे पुराना मंदिर भी कहा जाता है.
इस मंदिर का निर्माण पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय (राजसिंह) ने लगभग आठवीं शताब्दी में करवाया था. बाद में उनके पुत्र महेंद्रवर्मन तृतीय ने इसमें कुछ विस्तार कार्य कराए. यह मंदिर ग्रेनाइट और बलुआ पत्थर से निर्मित है, जो उस समय की उन्नत वास्तुकला को दर्शाता है.
कैलाशनाथर मंदिर का मुख्य आकर्षण इसका शिखर (विमान) है, जो पल्लव स्थापत्य शैली का प्रारंभिक रूप प्रस्तुत करता है. मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव के विभिन्न रूपों, पार्वती, नंदी और अन्य देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां और नक्काशियां बनी हुई हैं. विशेष रूप से शिव के 58 से अधिक लघु मंदिर मुख्य गर्भगृह के चारों ओर बने हुए हैं, जो इस मंदिर को अद्वितीय बनाते हैं.
मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत और आध्यात्मिक है. यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि मंदिर की ऐतिहासिक और कलात्मक सुंदरता का भी आनंद लेते हैं. यह मंदिर विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है जो रोग निवारण और मानसिक शांति की कामना करते हैं.
कांचीपुरम कैलाशनाथर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास, संस्कृति और वास्तुकला का अमूल्य धरोहर भी है. यह मंदिर आज भी पल्लव काल की गौरवशाली कला और भक्ति परंपरा की जीवंत गवाही देता है.