कर्नाटक राज्य के हासन जिले में स्थित बेलूर और हलेबिडु मंदिर भारतीय स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं. ये दोनों मंदिर होयसला वंश द्वारा 12वीं शताब्दी में बनवाए गए थे और अपनी अद्भुत नक्काशी व शिल्पकला के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं.
बेलूर का चेन्नकेशव मंदिर (Chennakesava Temple) 1117 ईस्वी में होयसला राजा विष्णुवर्धन द्वारा बनवाया गया था. यह मंदिर भगवान विष्णु के केशव रूप को समर्पित है. मंदिर की दीवारों, स्तंभों और छतों पर की गई बारीक नक्काशी अत्यंत आकर्षक है. यहां रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और दैनिक जीवन के दृश्यों को पत्थरों पर उकेरा गया है. मंदिर के भीतर के खंभे इतने चमकदार हैं कि वे धातु जैसे प्रतीत होते हैं. बेलूर मंदिर होयसला कला की शुरुआत और उत्कर्ष का प्रतीक माना जाता है.
हलेबिडु का होयसलेश्वर मंदिर (Hoysaleswara Temple) पहले होयसला साम्राज्य की राजधानी था, जिसे पहले द्वारसमुद्र कहा जाता था. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे राजा केतीमल्ल ने 12वीं शताब्दी में बनवाया था. यह एक द्विदेवालय (डबल श्राइन) मंदिर है, जिसमें होयसलेश्वर और शांतलेश्वर नामक दो शिवलिंग स्थापित हैं. मंदिर की बाहरी दीवारों पर हजारों मूर्तियां हैं, जिनमें देवी-देवता, नृत्य मुद्राएं, पशु-पक्षी और युद्ध दृश्य शामिल हैं. इतनी सूक्ष्म नक्काशी देखकर यह विश्वास करना कठिन होता है कि यह सब कठोर पत्थर पर किया गया है.
बेलूर और हलेबिडु मंदिर न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि भारतीय कला, संस्कृति और स्थापत्य कौशल की अमूल्य धरोहर भी हैं. आज ये दोनों स्थल यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं और इतिहास प्रेमियों व पर्यटकों के लिए अत्यंत आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.