टेक्नोलॉजी का विस्तार तेजी से हो रहा है. लगभग हर सेक्टर में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. शायद ही कोई ऐसा सेक्टर होगा, जहां टेक्नोलॉजी का प्रभाव देखने को ना मिलता हो. वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल रविवार को होने वाला है. इस फाइनल में भी हमें तमाम तरह की टेक्नोलॉजी देखने को मिलेंगी.
ऐसे में एक अल्ट्रा-एज टेक्नोलॉजी है, जिस पर हम पहले ही चर्चा कर चुके हैं. अब हम बात कर रहे हैं स्मार्ट विकेट और स्मार्ट बेल्स यानी गिल्लियों की. आपने देखा होगा कि इंटरनेशनल क्रिकेट में यूज होने वाले स्टंप और बेल्स में लाइट्स लगी होती हैं, जो टच होते ही ऑन हो जाती हैं. ये लाइट्स शुरू से मैच का हिस्सा नहीं थी.
इन्हें कुछ सालों पहले ही इंटरनेशनल क्रिकेट में शामिल किया गया है. इन विकेट्स और बेल्स में LED लाइट्स का इस्तेमाल किया गया होता है, जो अंपायर को आसानी से फैसला लेने में मदद करती हैं. आपने क्या सोचा था इन LED लाइट्स वाले विकेट्स का इस्तेमाल पिच को सजाने के लिए किया जाता है.
स्टंप्स में LED लाइट्स को फिट किया जाता है, जो कंपोजिट प्लास्टिक की बनी होती हैं. इन स्टंप्स के इस्तेमाल को ICC ने साल 2013 में मंजूरी दी थी. इन स्मार्ट बेल्स और स्मार्ट विकेट्स को पावर देने के लिए बैटरी का इस्तेमाल किया गया है. आइए जानते हैं इनकी डिटेल्स.
जैसे ही बेल्स यानी गिल्ली विकेट से दूर होती है, इसमें लगी LED लाइट्स ऑन हो जाती हैं. इस सिस्टम को Zing Wicket सिस्टम कहा जाता है. इस सिस्टम को ऑस्ट्रेलिया के ग्रेड क्रिकेटर Bronte Eckermann ने बनाया है. उन्हें इसका आइडिया अपनी बेटी के साथ खेलते हुए आया. जिसमें विकेट की गिल्लियों जैसे ही गिल्लियों में LED लगी हुई थी.
इन बेल्स में माइक्रोप्रोसेसर लगा होता है, जो स्टंप से इनके अलग होने पर LED को ऑन कर देता है. ये लाइट्स 0.0001 सेकेंड में ऑन हो जाती हैं. इन गिल्लियों की लाइट्स तभी जलती है, जब ये दोनों एंड से विकेट से हट जाती हैं. इनकी मदद से अंपायर को फैसले लेने में काफी ज्यादा मदद मिलती है.