अपनी कप्तानी में भारत को 2012 का अंडर-19 विश्व कप जिताने वाले उन्मुक्त चंद ने अब अमेरिकी क्रिकेट में धमाल मचाना शुरू कर दिया है. सोमवार को अमेरिका की माइनर लीग क्रिकेट में सिलिकॉन वैली स्ट्राइकर्स की ओर से खेलते हुए उन्मुक्त चंद ने नाबाद 132 रनों की तूफानी पारी खेली. उनके इस पारी की बदौलत सेमीफाइनल मुकाबले में स्ट्राइकर्स की टीम ने ऑस्टिन एथलेटिक्स को छह विकेट से हरा दिया.
मूसा स्टेडियम (Texas) में सिलिकॉन वैली स्ट्राइकर्स को ऑस्टिन एथलेटिक्स टीम के खिलाफ जीत के लिए 20 ओवरों में 185 रनों का लक्ष्य मिला था, जिसे उसने 19.3 ओवरों में ही 188 रन बनाकर फाइनल में जगह बना ली. उन्मुक्त के अलावा टीम की जीत में अन्य बल्लेबाजों का कोई खास योगदान नहीं रहा. उन्मुक्त ने अपनी इस नाबाद पारी के दौरान 69 गेंदों का सामना करते हुए 15 चौके और सात छक्के लगाए. इस दौरान उन्मुक्त ने अपना शतक महज 52 गेंदों में पूरा कर लिया.
Great effort put by the whole team. Into the conference finals and also a very special knock today. (132* 69 balls 15 fours 7 sixes) @MiLCricket MiLCricket @usacricket pic.twitter.com/xg4mcVUBkY
— Unmukt Chand (@UnmuktChand9) September 27, 2021
उन्मुक्त चंद ने अपनी इस पारी का वीडियो शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा, 'पूरी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. हम कॉन्फ्रेंस फाइनल्स में पहुंच गए हैं और साथ ही टीम के लिए एक बेहद खास पारी.'
उन्मुक्त चंद ने पिछले महीने भारतीय क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया था. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट करियर की नई शुरुआत करने के लिए अमेरिका का रुख किया. गौरतलब है कि उन्मुक्त ने 2012 के अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में नाबाद 111 रनों की कप्तानी पारी खेलकर भारत को चैम्पियन बनाया था. उन्होंने भारत ए की भी कप्तानी की.
28 साल के चंद ने अपने घरेलू करियर की शुरुआत 2010 में दिल्ली से की थी और वह 8 सीजन तक टीम के लिए खेले. इस दौरान वह दिल्ली की टीम के कप्तान भी रहे. बाद में उन्होंने उत्तराखंड के लिए भी घरेलू क्रिकेट खेला. उन्मुक्त चंद ने इंडियन प्रीमियर लीग में भी भाग लिया था, जहां उनका प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा. वह आईपीएल के 21 मुकाबलों में 15 की औसत से महज 300 रन बना सके.
उन्मुक्त को 2013 की आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए 30 सदस्यीय भारतीय टीम में जगह मिली थी. साथ ही ,वह 2014 टी20 विश्व कप के लिए 30 सदस्यीय टीम में भी चुने गए थे. लेकिन उन्हें कभी भी सीनियर टीम के लिए खेलने का मौका नहीं मिला.