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मैं भाग्य हूं... बगैर उजाले एक कदम बढ़ाना है मुश्किल

मैं भाग्य हूं... बगैर उजाले एक कदम बढ़ाना है मुश्किल

मैं भाग्य हूं... आपका नियामक आपके कर्मों का परिणाम दुनिया में अगर रोशनी न हो तो इंसान का जीना मुश्किल हो जाता है. बगैर उजाले के एक कदम बढ़ाना भी कठीन हो जाता है. ऐसे में फिर लंबा रास्ता तय करके अपनी मंजिल तक पहुंचना तो लगभग असंभव ही लगता है.

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