मैं भाग्य हू्ं...लोग मुझे नियति, मुकद्दर, तकदीर भी कहते हैं...लेकिन मैं क्या हूं? क्या मैं किसी के जीवन का सब कुछ हूं? क्या मैं ही वो हूं, जिसके लिए इंसान जीता है. क्या मैं वो हूं, जिसको चमकता हुआ देखने के लिए इंसान तमाम उपाय करता है? आप जो भी सोचें, लेकिन मैं ऐसा कुछ भी नहीं कहता. मैं तो सिर्फ चाहता हूं कि लोग मुझे यानी अपने भाग्य को आप तय करें...आपके तय करें कि मैं किसी के जीवन में किस रूप में आऊं? आप कर्म तो कीजिए सही...फल तो अपने आप मिलेगा. बस उसे पाने में जल्दबाजी की उम्मीद मुझसे मत कीजिएगा. देखिए जिंदगी बदलने वाली कहानी...