इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) पिछले कुछ सालों से काफी फेमस वेट लॉस ट्रेंड बना हुआ है. सोशल मीडिया के साथ-साथ कई ऐसे सेलेब्स भी हैं जो अक्सर कहते आए हैं कि वजन कम करने के लिए उन्होंने इंटरमिटेंट फास्टिंग की. अक्सर लोग इस ट्रेंड के बारे में सर्च करते रहते हैं ताकि उन्हें सटीक जानकारी मिल सके. हाल ही में हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड ट्रेंड गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने अपने इंस्टाग्राम वीडियो में इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे और मिथकों पर बात की है.
क्या बताया वीडियो में?
डॉ. सेठी ने जो वीडियो शेयर किया है उसके मुताबिक, इंटरमिटेंट फास्टिंग वेट लॉस में मदद कर सकता है और यही उसका सबसे बड़ा फायदा है. IF बिना मेटाबॉलिज्म को धीमा किए वजन कम करता है और साथ ही साथ यह फैटी लिवर और इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या पर भी अच्छा प्रभाव डालता है.'
'इंटरमिटेंट फास्टिंग ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को सुधारने में भी मदद कर सकती है. सूजन कम करने, PCOS (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) में मदद करने जैसे फायदे भी इसके देखे गए हैं.
मेंटल हेल्थ में भी फायदेमंद
मेंटल हेल्थ के बारे में सेठी ने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग मूड और डिप्रेशन को बेहतर कर सकता है लेकिन यह अभी पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है. अल्जाइमर डिजीज को जोखिम को कम करने में भी इसके कुछ सबूत मिले हैं लेकिन ठोस प्रमाण नहीं हैं.
सचेत रहने की जरूरत
डॉ. सेठी के मुताबिक, इंटरमिटेंट फास्टिंग मसल्स लॉस का कारण बन सकती है इसलिए बिना प्रोटीन की सही मात्रा के बिना इसका सेवन करना खतरनाक हो सकता है. फास्टिंग के दिनों में एथलेटिक परफॉर्मेंस में कमी हो सकती है इसलिए रोजाना एक्सरसाइज करने वाले लोगों को इसका खास ध्यान रखना चाहिए. महिलाओं के लिए भी लंबी फास्टिंग विंडो सही नहीं मानी गई है.
क्या कहती हैं रिसर्च?
हॉवर्ड की रिसर्च ने भी इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे बताए हैं. यह न केवल शरीर के सेल्स को सुधारती है बल्कि स्ट्रेस को भी कम करती है जिससे कैंसर और हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकती है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग का एक बड़ा फायदा यह है कि यह इंसुलिन के लेवल को कम करता है जिससे टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को घटाया जा सकता है. रिसर्च बताती हैं कि IF वजन कम करने के साथ-साथ ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लडप्रेशर में भी सुधार करता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन कंट्रोल, मेटाबोलिज्म सुधार, हार्ट हेल्थ में सुधार कर सकता है. हालांकि, यह हर किसी के लिए नहीं है और इसके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं खासकर यदि इसे बिना प्लानिंग के और बिना किसी सर्टिफाइड कोच के अंडर में किया जाए.