मोटापे से निजात पाने के लिए लोगों के बीच इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाने का चलन बढ़ा है. कॉर्टनी कार्दशियां, जेनिफ़र एनिस्टन, मलाइका अरोड़ा से लेकर आर माधवन जैसे सेलिब्रिटीज खुद को फिट रखने के लिए हाल-फिलहाल इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाते हुए सुर्खियों में आए.
इंटरमिटेंट फास्टिंग वैसे तो आपको आकर्षक लग सकता है, लेकिन अधिकतर इसे फॉलो करना का सही तरीका नहीं जानते हैं. ऐसे में वह इसका पूरा लाभ नहीं उठा पाते हैं. एस्टर सीएमआई अस्पताल की हेड ऑफ सर्विसेस और क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट एडविना राज इंडिया टुडे से बात करते हुए कहती हैं कि इसमें क्या खाना है पर ध्यान देने से ज्यादा इस बात पर जोर देना है कि कब खाना है. दिन के कुछ खास घंटों तक भोजन को ऐसे सीमित करना है जिससे आप कैलोरी घटा सके, लेकिन पोषण की कमी ना महसूस हो.
क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग?
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल की चीफ डायटीशियन ऑफिसर पवित्रा एन राज कहती हैं कि भोजन करने के इस पैटर्न का लक्ष्य दिन के दौरान खाने के समय को कम करना है. इससे आपकी बॉडी को फास्टिंग के सिचुएशन में अधिक समय बिताने का मौका मिलता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाने के कई तरीके हैं. 16 घंटे तक फास्टिंग रखना और 8 घंटे के टाइम में खाना, इसका सबसे लोकप्रिय और आसान तरीका है. वहीं, दूसरा तरीका है कि आप सप्ताह में 5 दिन सामान्य रूप से खाना खाएं. वहीं, बाकी दो दिन कैलोरी का सेवन 500-600 कैलोरी तक सीमित रखें. तीसरा तरीका है कि आप सप्ताह में एक या दो बार 24 घंटे का उपवास जरूर रखें. चौथा तरीका है अल्टरनेट डे फास्टिंग का. इसमें एक दिन फास्टिंग, जिसमें कैलोरी का सेवन कम हो. दूसरे दिन सामान्य रूप से भोजन करें. 5वां तरीका है वॉरियर डाइट है. इसमें दिन के वक्त थोड़ी मात्रा में कच्चे फल और सब्जियाँ खाना और रात में एक बड़ा भोजन शामिल है.
जानें इंटरमिटेंट फास्टिंग से कैसे होगा फायदा
अर्टेमिस लाइट अस्पताल की क्लिनिकल न्यूट्रिस्निट डॉ संगीता तिवारी के मुताबिक इंटरमिटेंट फास्टिंग से बॉडी में इंसुलिन लेवल कम होता है और ग्रोथ हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ता है. ऑटोफैगी को प्रमोट करता है. इसमें कोशिकाएं डैमेज्ड कंपोननेंट को हटाती. बॉडी में हार्मोन चेंज मेटाबॉलिक हेल्थ को बेहतर करता है ओर फैट बर्निंग को सपोर्ट करता है.
वजन घटाने के साथ-साथ इंटरमिटेंट फास्टिंग से इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार होता है. यह टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज और न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों का जोखिम कर सकता है. इसके अलावा इंटमिटेंट फास्टिंग मेंटल हेल्थ को बेहतर करने में मदद कर सकता है.
एडविना राज के मुताबिक अगर आप वजन नियंत्रित करना चाहते हैं और मेटाबॉलिक हेल्थ को बेहतर करना चाहते हैं तो उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग मददगार साबित हो सकता है. वजन घटाने का ये प्रॉसेस उनके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है, जिनकी दिनचर्या संतुलित है और वह बिना किसी खास दिक्कत के खाने के स्पेशिफिक टाइमिंग पर टिके रह सकते हैं.
किनके लिए नहीं है इंटरमिटेंट फास्टिंग
एडविना आगे कहती हैं कि जिन्हें ईटिंग डिसॉर्डर है या फिर किसी तरह के मेडिकल कंडिशन जैसे डायबिटीज, हाइपोग्लाइसीमिया जैसी बीमारियां हैं उन्हें इंटरमिटेंट फास्टिंग से बचना चाहिए. इसके अलावा प्रेग्नेंट, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं को भी वजन घटाने के इस प्रकिया से बचना चाहिए. साथ ही जो फास्टिंग के साइकोलॉजिकल एस्पेक्ट से जूझ रहा है, उन्हें भी इससे बचना चाहिए.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आप इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाना चाहते हैं तो उससे पहले स्वास्थ्य परिस्थितियों का आकलन जरूर कर लेना चाहिए. इसके अलावा इसे करने से पहले प्रोफेशनल्स से भी सलाह ले लेनी चाहिए. डायटिशिय डॉ. अर्चना बत्रा के मुताबिक इंटरमिटेंट फास्टिंग के चलते कुछ लोगों को एनर्जी का स्तर कम होने का अनुभव हो सकता है. खाने के पैटर्न में बदलाव से कब्ज या पेट फूलने की समस्या हो सकती है. कई लोगों को फास्टिंग के दौरान चिड़चिड़ापन जैसा भी फील होने लगता है. इसके अलावा जो इंटरमिटेंट फास्टिंग को पहली बार अपना रहे हैं उन्हें सिर दर्द की शिकायत हो सकती है. उन्हें चक्कर भी आ सकते हैं अगर वह फास्टिंग के दौरान पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ या इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन नहीं कर रहे हों तो.
सही तरीका क्या है इंटरमिटेंट फास्टिंग का
इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग का सही तरीका वह है जो आपकी डेली लाइफस्टाइल में आराम से फिट हो जाए. कुछ लोग नाश्ता छोड़ना और दोपहर से रात 8 बजे तक खाना पसंद करते हैं, जबकि अन्य लोग रात का खाना जल्दी खाना पसंद करते हैं, रात भर फास्टिंग करते हैं. आप जो भी तरीका अपना रहे हैं ध्यान रखें कि उसमें कंसिटेंसी हो. पोषक तत्वों से भरपूर भोजन चुने. फास्टिंग के दौरान हाइड्रेशन और एनर्जी लेवल बनाए रखें.
इसके अतिरिक्त, डॉ. संगीता तिवारी ने बताया कि इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग के हिस्से के रूप में भोजन छोड़ना आम तौर पर सुरक्षित होता है अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो इससे कैलोरी को कम किया जा सकता है और पोषक तत्वों में भी कमी नहीं होगी. लेकिन जरूरी है कि यह सुनिश्चित हो कि खाया जाने वाला भोजन पौष्टिक और संतुलित हो वर्ना बॉडी में पोषक तत्वों की कमी, मांसपेशियों की हानि, हार्मोनल असंतुलन, एनर्जी का डिसबैलेंस हो सकता है.