दिल्ली दंगों के आरोपियों की जमानत पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान आरोपी गुलफिशा फातिमा की ओर से जिरह कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने उन्हें जमानत देने की मांग करते हुए कहा कि वे 5 साल 5 महीने से जेल में हैं. 16 सितंबर 2020 को चार्जशीट दाखिल की गई, अब सरकारी पक्ष लगभग हर साल एक पूरक चार्जशीट दाखिल करने की एक सालाना रस्म निभाते हैं.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम अनिश्चितकालीन जांच नहीं कर सकते. अदालत को किसी दिन इस तरह की पूरक चार्जशीट दाखिल करने के बड़े मुद्दे पर भी फैसला करना चाहिए. उन्होंने कहा कि तारीखों की सूची पर गौर किया जाना चाहिए. और सरकारी पक्ष जिस तरह से असाधारण देरी कर रहा है उस पर विचार किया जाना चाहिए.
वरिष्ठ वकील ने कहा कि ऐसी स्थिति तब है जब जब अदालत ने कहा था कि गुलफिशा समानता के आधार पर जमानत के लिए आवेदन करने की हकदार हैं. सिंघवी ने गुलफिशा की ओर से कहा कि वे पहले ही जेल में 5 साल 5 महीने बिता चुके हैं.
उन्होंने कहा कि 2020 से 2023 के बीच 6 तरह की चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि वे इस केस में हिरासत में रहने वाली अकेली महिला हैं.
सिंघवी ने कहा कि इस केस में अब तक चार्ज भी नहीं फ्रेम किए गए हैं और लगाए गए चार्ज पर भी जिरह जारी है. उन्होंने कहा कि गुलफिशा को जेल में इसलिए नहीं रख सकते क्योंकि इस केस में 148 सुरक्षा प्राप्त गवाह हैं और 900 दूसरे गवाह हैं.
शुक्रवार को 2020 दिल्ली दंगा के मामले में आरोपी शरजील ईमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर ,गुलफिशा फातिमा और शिफा उर रहमान और मुहम्मद सलीम खान की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे तीन आरोपियों की दलील होने के बाद सुनवाई तीन नवंबर तक टल गई.
छह में से एक आरोपी गुलफिशा फातिमा की पैरवी करते हुए सिंघवी ने कहा कि पहले ही काफी देरी हो गई है. अभी ट्रायल शुरू होने में काफी समय लगेगा. सिंघवी ने ट्रायल में गैर वाजिब देरी का हवाला देते हुए कहा कि अभी तक केस में आरोप भी तय नहीं हो पाए हैं.
अदालत के सामने जिरह करते हुए सिंघवी ने कहा कि आरोप है कि गुलफिशा पिंजरा तोड़ ग्रुप का हिस्सा हैं. लेकिन इस मामले मे दूसरी आरोपियों देवांगना और नताशा को भी जमानत मिल गई है. मेरे मुअक्किल के खिलाफ आरोप यह है कि उसने धरनास्थल बनाया था. लेकिन इनमें से किसी भी धरनास्थल पर कोई हिंसा की घटना नहीं हुई. जिन भी स्थलों पर वो मौजूद थी, वहां किसी के पास मिर्च पाउडर, तेजाब इत्यादि होने का कोई सबूत नहीं है.
शुक्रवार की सुनवाई में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले में आरोपी उमर खालिद की पैरवी की. उन्होंने कहा कि जब दिल्ली मे दंगे हुए उस समय उमर खालिद दिल्ली मे नहीं था.
उमर खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन वी अंजारिया की पीठ को बताया कि 2020 के दिल्ली दंगों से उसे जोड़ने वाले धन, हथियार या किसी भी भौतिक साक्ष्य की कोई बरामदगी नहीं हुई है.
सिब्बल ने कहा, "751 प्राथमिकी दर्ज हैं, एक में मुझ पर आरोप है, और अगर यह एक साज़िश है, तो यह थोड़ा आश्चर्यजनक है!"
"अगर मैंने (उमर खालिद) दंगों की साजिश रची थी. जिन तारीखों को दंगे हुए, मैं दिल्ली में नहीं था."
उन्होंने बताया कि "किसी भी गवाह का बयान वास्तव में याचिकाकर्ता को किसी भी हिंसात्मक घटना से नहीं जोड़ता है."
आरोपी शरजील इमाम के लिए वकील सिद्धार्थ दवे ने दलील की. उन्होंने कहा कि शरजील छात्र है और वह पांच साल नौ महीने से न्यायिक हिरासत में हैं. वह जनवरी 2020 से ही जेल में है. अभियोजन पक्ष को इस मामले की पूरी जांच करने में तीन साल लग गए. सिद्धार्थ दवे ने कहा कि शरजील इमाम जेल में सड़ रहा है, एक साल पहले 2024 में ही कहा गया कि केस की जांच पूरी हो चुकी है. मेरी तरफ से कोई देरी नहीं हुई है. बता दें कि
शरजील जनवरी 2020 में दर्ज एक अन्य FIR के लिए पहले से ही हिरासत में था.