बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अमेरिकी नागरिक जेम्स लियोनार्ड वॉटसन की गिरफ्तारी को “अवैध” घोषित करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया. वॉटसन ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध घोषित करते हुए न्यायिक हिरासत से रिहाई की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका में संशोधन (amendment) करने का निर्देश दिया है.
वॉटसन को 3 अक्टूबर को भिवंडी पुलिस ने गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह 17 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं. हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को करेगा.
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंकद की खंडपीठ ने कहा- “आपकी याचिका इस रूप में स्वीकार्य नहीं है. एक बार जब न्यायिक रिमांड हो चुकी है, तो बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) लागू नहीं होती. ऐसे मामलों में राहत का एकमात्र रास्ता जमानत याचिका दायर करना है.”
वॉटसन ने क्या दावा किया?
वॉटसन की पत्नी ट्रेसी गैरेट वॉटसन के माध्यम से दायर याचिका में अंतरिम रिहाई की मांग की गई है. उनके वकील ने तर्क दिया कि उन पर लगाई गईं धाराएं, जैसे महाराष्ट्र मानव बलिदान और अन्य अमानवीय, अनिष्ट और अघोरी प्रथा और उन्मूलन अधिनियम (2013) और किशोर न्याय अधिनियम, लागू नहीं होती हैं.
वॉटसन का दावा है कि वह व्यापार वीजा (B-2) पर हैं और 3 अक्टूबर को ठाणे जिले के भिवंडी क्षेत्र में ईसाई समुदाय के सदस्यों के यहाँ एक प्रार्थना सभा के लिए आमंत्रित किए गए थे.
वॉटसन के अनुसार, शिकायतकर्ता, जिसका उस गांव से संबंध नहीं है, राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते निजी संपत्ति में घुस गया और बजरंग दल के लोगों ने उन्हें बाहर खींच लिया.
वहीं शिकायत में दावा किया गया है कि प्रचारक हिंदू धर्म को अंधविश्वास बताते हुए लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसा रहे थे. अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी