कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की उस अधिसूचना पर लगाई गई अंतरिम रोक वापस ले ली है, जिसमें विभिन्न संस्थानों में काम करने वाली महिलाओं को हर महीने एक पेड मेंस्ट्रुअल लीव देने का प्रावधान किया गया है. यह अंतरिम रोक मंगलवार सुबह बेंगलुरु होटल एसोसिएशन की याचिका पर लगाई गई थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार की नई नीति यह साफ नहीं बताती कि इसे किस अधिकार के तहत जारी किया गया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने कोर्ट से इस आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, जिसके बाद जस्टिस ज्योति एम ने रोक वापस ले ली. अब इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को होगी.
याचिकाकर्ता ने क्या दलील दी?
एसोसिएशन का कहना था कि राज्य सरकार के पास ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है और यह अधिसूचना फैक्ट्रियों से लेकर दुकानों और कमर्शियल प्रतिष्ठानों तक सभी पर लागू कर दी गई है. याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि पहले से मौजूद श्रम कानूनों में कर्मचारियों को छुट्टी देने के पर्याप्त प्रावधान हैं, इसलिए ऐसी बाध्यकारी नीति की जरूरत नहीं है.
'सरकारी आदेश कंपनियों पर डाल सकता है आर्थिक बोझ'
एसोसिएशन ने यह भी कहा कि अनिवार्य मेंस्ट्रुअल लीव का नियम कंपनियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल सकता है और इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं. उनका कहना था कि सरकार को ऐसी अधिसूचना जारी करने से पहले सभी हितधारकों से राय लेनी चाहिए थी.
बुधवार को होगी सुनवाई
सुबह हुई प्रारंभिक सुनवाई में कोर्ट ने एसोसिएशन को राहत देते हुए अधिसूचना पर रोक लगा दी थी और सरकार से जवाब मांगा था. लेकिन बाद में एडवोकेट जनरल शेट्टी के अनुरोध पर कोर्ट ने अपना आदेश वापस ले लिया और कहा कि मामले की विस्तृत सुनवाई बुधवार को की जाएगी.