कोयला खदान आवंटन घोटाले से जुड़े मुकदमों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने डीपी सिंह को स्पेशल प्रोसिक्यूटर नियुक्त किया है. डीपी सिंह इन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का पक्ष रखने में योगदान करेंगे. डीपी सिंह, आरएस चीमा की जगह लेंगे. चीमा ने कोर्ट के सामने ईडी के लिए फिलहाल अपनी सेवा देने में असमर्थता जताई थी, लेकिन चीमा इन्हीं मामलों में सीबीआई की ओर से स्पेशल प्रोसिक्यूटर की जिम्मेदारी निभाते रहेंगे.
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह कोयला घोटाला मामलों में जांच में शामिल अधिकारियों के उनके मूल विभागों में वापसी पर व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएगी ताकि जांच पर कोई असर न हो. पीठ ने यह भी कहा था कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा की सहायता लेना चाहेगी जिन्हें शीर्ष अदालत ने कोयला घोटाले के मामलों में विशेष सरकारी अभियोजक चुना है.
उधर सीबीआई ने भी अपनी शुरुआती रिपोर्ट में कोयला खदान आवंटन में गड़बड़ी की बात मान ली थी. सुप्रीम कोर्ट को भेजी अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने गड़बड़ी मानी थी. इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा था. ईडी भी इस मामले की अलग से जांच कर रही है.
यह मामला 2004 से 2009 के दौरान 100 कंपनियों को कोयला खदानों के आवंटन का है. आरोप था कि इन खदानों की नीलामी प्रक्रिया में अनियमितताएं बरती गईं. कई बड़ी कंपनियों समेत 100 कंपनियों को बिना नीलामी के कोयला खदानें आवंटित की गईं.
जिन कपंनियों को खदानें मिली थीं उनमें निजी और सरकारी कंपनियां शामिल थीं. ये बिजली, स्टील और सीमेंट का कारोबार करने वाली कंपनियां थीं. लाभ पाने वाली कंपनियों में टाटा ग्रुप की कंपनियां, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, इलेक्ट्रो स्टील केस्टिंग्स लिमिटेड, द अनिल अग्रवाल ग्रुप फर्म्स, दिल्ली की भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड, जायसवाल नेको, नागपुर की अभिजीत ग्रुप और आदित्य बिरला ग्रुप जैसी बड़ी कंपनियां शामिल थीं.