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हिरासत के बाद हर कोई बीमार क्‍यों पड़ जाते हैं: दिल्‍ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के दौरान आश्चर्य जताते हुए कहा कि ‘हिरासत में लिए जाने के बाद कोई आरोपी व्यक्ति बीमार क्यों पड़ जाता है?’

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दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने के दौरान आश्चर्य जताते हुए कहा कि ‘हिरासत में लिए जाने के बाद कोई आरोपी व्यक्ति बीमार क्यों पड़ जाता है?’

न्यायमूर्ति वीके शाली ने बॉलीवुड फिल्म निर्माता करीम मोरानी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘प्रत्येक व्यक्ति हिरासत में लिए जाने पर ही बीमार क्यों पड़ जाता है?’ दरअसल, मोरानी ने अपनी याचिका में स्वास्थ्य आधार पर तिहाड़ जेल से रिहा करने की मांग की थी.

मोरानी की ओर से अदालत में पेश हुए सिद्धार्थ लूथरा ने उनकी नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई होने तक अंतरिम राहत देने की मांग करते हुए कहा, ‘उनके मुवक्किल दिल के मरीज हैं और उनका स्वास्थ्य ‘खराब’ हो रहा है.’ हालांकि, न्यायाधीश ने किसी तरह की अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए तिहाड़ जेल अधिकारियों को मोरानी की ताजा मेडिकल रिपोर्ट एक दिसंबर को मुहैया करने को कहा, जो सुनवाई की अगली तारीख भी है.

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न्यायमूर्ति शाली ने मोरानी के खिलाफ गवाहों की सूची भी पेश करने को कहा. गौरतलब है कि इससे पहले विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने कनिमोई सहित अन्य लोगों के साथ मोरानी की भी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था जबकि सीबीआई ने जमानत याचिका पर ऐतराज नहीं जताया था.

न्यायाधीश ने मोरानी के बीमार होने संबंधी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मेडिकल रिकार्ड से यह पता नहीं चलता है कि मोरानी की अस्वस्थता का स्तर इतना अधिक नहीं है कि उनके हिरासत में रहने से उनके (मोरानी के) स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है.

शाहिद उस्मान बलवा समर्थित डीबी ग्रुप कंपनी से दम्रुक संचालित कलेगनार टीवी को कथित तौर पर 200 करोड़ रुपया रिश्वत के तौर पर दिलवाने और इसके लिए रिश्वत के तौर पर छह करोड़ रूपया प्राप्त करने को लेकर मोरानी को सीबीआई ने आरोपित किया था.

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