कोरोना संकट के बीच संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने वाला है. सत्र के शुरू होने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं. कोरोना संकट के कारण इस बार काफी बदलाव किए गए हैं. मॉनसून सत्र की कार्यवाही में से इस बार ऐहतियातन प्रश्नकाल को हटा दिया गया है. विपक्ष की ओर से इस मसले पर घोर आपत्ति जताई जा रही है. हालांकि अब सरकार ने कुछ और बदलाव किए हैं. अब संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सांसद लिखित में सवाल पूछ सकेंगे, जिसका जवाब में लिखित में ही मिलेगा.
गुरुवार को संसद सत्र से जुड़ा एक नोटिफिकेशन जारी किया गया. जिसमें कहा गया है कि सांसदों को ये बताया जाता है कि इस बार राज्य सभा में प्रश्नकाल नहीं होगा. ऐसे में सभी सदस्य अपने सवाल पहले दे सकते हैं, जिनका लिखित जवाब मिलेगा.
मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल पर रोक लगाए जाने की पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी निंदा की है. यशवंत सिन्हा ने इससे संबंधित एक ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में यशवंत सिन्हा ने लिखा है, "यदि विपक्षी दलों में हिम्मत है तो वे संसद को प्रश्नकाल के बिना और न्याय संबंधी मामलों पर चर्चा किए बिना काम नहीं करने देंगे. संसद लोकतंत्र का अंतिम गढ़ है और इसे पूरी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए."
If the opposition parties have the guts they shd not allow Parliament ro function without question hour and without discussion on sub judice matters. Parl is the last bastion of democracy and it's rights must be fully protected.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) September 3, 2020
आपको बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा बीजेपी सरकार की नीतियों का मुखर विरोध करते रहे हैं. अभी कुछ दिन पहले ही जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाहरी लोगों को राज्य में नौकरी नहीं देने का ऐलान किया था तो यशवंत सिन्हा ने उस फैसले की भी निंदा की थी.
MP CM has made a mockery of the Constitution of India by barring outsiders from jobs in MP. This is the new India of the BJP. Will the other CMs of BJP follow suit and the central govt remain a mute spectator? Is India Divided the new BJP slogan?
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) August 21, 2020
उस समय यशवंत सिन्हा ने अपने ट्वीट में लिखा था, "मध्य प्रदेश के सीएम ने बाहरी लोगों को प्रदेश में नौकरियों पर रोक लगाकर भारत के संविधान का मखौल बनाया है. यह बीजेपी का नया भारत है. क्या बीजेपी के अन्य मुख्यमंत्री भी इसी रास्ते पर चलेंगे और केंद्र सरकार मूकदर्शक बनी रहेगी? क्या बीजेपी के नए नारे ने भारत को बांट दिया है?"