दिल्ली एमसीडी चुनाव में इस बार बीजेपी के लिए आम आदमी पार्टी से भी बड़ी चुनौती वो एंटी इनकम्बेंसी है जिससे निपटना उसके लिए आसान नहीं रहने वाला है. पिछले 15 सालों से बीजेपी का एमसीडी पर दबदबा चल रहा है, किसी दूसरी पार्टी को उठने का मौका नहीं दिया गया. 2017 के चुनाव में बीजेपी ने किसी भी सिटिंग पार्षद को टिकट ना देकर एक बड़ा दांव चला था, नतीजा ये रहा कि पार्टी को एंटी इनकम्बेंसी का कोई नुकसान नहीं हुआ और एक बड़ी जीत दर्ज की गई. अब फिर पार्टी उसी रणनीति पर विचार कर रही है.
पांच साल पुराना दांव, कितना असरदार?
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि दिल्ली एमसीडी चुनाव में बीजेपी दोबारा 2017 वाला मॉडल अपना सकती है. इसी मॉडल के तहत पार्टी ने पांच साल पहले अपने सभी सिटिंग पार्षदों का टिकट काट दिया था. फैसला विवादित था लेकिन पार्टी ने तब वर्तमान परिस्थिति को समझते हुए इसे करना जरूरी समझा. अब एक बार फिर जब बीजेपी को आम आदमी पार्टी से इस बार मजबूत चुनौती मिल रही है, एंटी इनकम्बेंसी को मात देने के लिए फिर सिटिंग पार्षदों का टिकट काटा जा सकता है.
चुनाव समितियों का ऐलान
असल में बीजेपी ने पिछले पांच दिनों कई बार हाई लेवल मीटिंग की है. उन मीटिंग में ही एमसीडी चुनाव की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई है. जोर देकर कहा गया है कि किसी भी कीमत पर 15 साल की सत्ता विरोधी लहर को परास्त करना होगा. वैसे इन महत्वपूर्ण मीटिंग के बाद बीजेपी की तरफ से चुनाव के लिए समितियों का ऐलान भी कर दिया गया है. दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने चुनाव प्रबंधन समितियों की सूची ट्विटर पर साझा करते हुए कहां है कि दिल्ली में 13000 से अधिक बूथ हैं तो भारतीय जनता पार्टी के 270 मंडल अध्यक्षों को प्रत्येक बूथ पर पंच परमेश्वर की लिस्ट जमा करनी है. बड़ी बात ये है कि पंजाब पुलिस के जरिए गिरफ्तारी से सुर्खियों में आए तेजेंद्र पाल बग्गा चुनाव समिति में शामिल किया गया है.