आजादी के बाद देश हर क्षेत्र में आगे बढ़ा और खेल भी इससे अछूता नहीं रहा. वैसे तो खेल जगत में तमाम ऐसे मौके आए जब हमारे जांबाज खिलाड़ियों ने देश का सिर गर्व से ऊंचा किया लेकिन कुछ ऐसे पल रहे जब पूरा भारत देश मिलकर जश्न में डूबा. आजादी की 69वीं सालगिरह पर खेल जगत के ऐसे ही कुछ पलों पर नजर डालते हैं जब खिलाड़ियों ने दुनिया भर में देश का नाम रौशन किया.
हॉकी में सोने की चमक
भारतीय हॉकी टीम आजादी से पहले ही परचम लहरा चुकी थी. आजादी से पहले ही ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने 'गोल्डन' हैट्रिक मारी थी. आजादी के बाद भी भारतीय हॉकी ने लगातार तीन ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जीते. 1960 में रोम ओलंपिक में भारत खाते में सिल्वर आया लेकिन 1964 में उसने फिर से 'सोने' का गोल दागा. इसके बाद 1980 में भारत ने गोल्ड मेडल जीता. इस तरह से भारतीय हॉकी खिलाड़ियों ने पांच बार खेलों के महाकुंभ में सोने का तमगा जीता.
जाधव ने दिलाया ओलंपिक का पहला व्यक्तिगत मेडल
पहलवान केदार जाधव ने ओलंपिक में भारत को पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल दिलाया था. उन्होंने 1952 में भारत को कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया. आजादी के पांच साल बाद मिला यह कांसे का तमगा बहुत खास था. कुश्ती में हाथ आजमाने के बाद जाधव पुलिस फोर्स में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर काम करने लगे. 1984 में एक रोड एक्सिडेंट में उनकी मृत्यु हो गई.
विदेशी धरती पर पहली टेस्ट सीरीज जीत
1971 में टीम इंडिया ने इंग्लैंड में पहली टेस्ट सीरीज जीती थी. अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारतीय टीम ने इंग्लैंड को 1-0 से हराया था. इस टीम में भगवत चंद्रशेखर, दिलीप सरदेसाई, वेंकटराघवन, गुंडप्पा विश्वनाथ, बिशन सिंह बेदी, फारुख इंजीनियर और सुनील गावस्कर जैसे खिलाड़ी शामिल थे. यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत भी थी.
1983 में कपिल की टीम ने रचा इतिहास
कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया ने 1983 में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता. भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज को हराकर वर्ल्ड कप जीता. 183 रनों के मामूली स्कोर को डिफेंड करते हुए कपिल देव की इस टीम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था.
ओलंपिक में मलेश्वरी का मैजिक
वेटलिफ्टर कर्णम मलेश्वरी पहली ऐसी महिला एथलीट थीं जिन्होंने ओलंपिक में मेडल जीता. 2000 सिडनी ओलंपिक में कर्णम मलेश्वरी ने कांसे का तमगा जीता. उन्होंने 69 किलो वर्ग में यह उपलब्धि हासिल की. 9 साल तक कर्णम मलेश्वरी नेशनल चैंपियन रहीं. उन्हें आंध्र प्रदेश की आयरन गर्ल भी कहा गया. 1994-94 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया और 1995-96 में उन्हें खेल रत्न से नवाजा गया.
गावस्कर के 10,000 टेस्ट रन
सुनील गावस्कर ने 1986-87 सीजन में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन पूरे किए थे. यह पहला मौका था जब दुनिया का कोई बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में 10,000 के आंकड़े तक पहुंचा था. गावस्कर ने इस तरह से पूरे देश का मान बढ़ाया था.
'इंडियन एक्सप्रेस' पेस-भूपति की जोड़ी
1996 से 2002 तक भारतीय टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी ने धमाल मचाया. 1999 में इन दोनों ने मिलकर विंबलडन और फ्रेंच ओपन में खिताब जीता. इस तरह से यह भारत की पहली ऐसी जोड़ी थी जिसने टेनिस में ग्रैंड स्लैम खिताब जीता था. 2002 और 2006 एशियन खेलों में इस जोड़ी ने गोल्ड मेडल जीता था.
राज्यवर्धन सिंह राठौर की 'चांदी ही चांदी'
राज्यवर्धन सिंह राठौर ने ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत सिल्वर मेडल जीता था. उन्होंने मेंस डबल ट्रैप में यह उपलब्धि हासिल की. 2004 में एथेंस में हुए ओलंपिक में उन्होंने देशवासियों को यह खास तोहफा दिया था. एथेंस ओलंपिक के बाद भारत में खेलों को लेकर जागरुगता बढ़ी थी.
नारायण कार्तिकेयन की 'स्पीड'
2005 में जॉर्डन के साथ नारायण कार्तिकेयन का डेब्यू सीजन बहुत अच्छा नहीं रहा. लेकिन कार्तिकेयन ही भारत को फॉर्मूला वन ट्रैक तक लेकर जाने वाले खिलाड़ी हैं. कार्तिकेयन के बाद ही भारत में करुण चंडोक जैसे फॉर्मूला वन ड्राइवर आगे बढ़े.
2007 में टी-20 वर्ल्ड कप में मिली जीत
टीम इंडिया ने 2007 वर्ल्ड कप में शर्मनाक प्रदर्शन किया था और टीम नॉकआउट तक नहीं पहुंच पाई थी. फिर 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप में टीम की कमान महेंद्र सिंह धोनी को सौंपी गई. टी-20 वर्ल्ड कप का यह पहला टूर्नामेंट था. यंग टीम इंडिया ने सबको चौंकाते हुए वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया था. फाइनल में टीम इंडिया ने पाकिस्तान को हराया था. आखिरी मौके पर जोगिंदर शर्मा ने मिसबाह उल हक को आउट कर मैच का पासा पलट दिया था.
अभिनव बिंद्रा का 'गोल्डन' शॉट
बीजिंग में हुए 2008 ओलंपिक खेलों में अभिनव बिंद्रा ने सोने का तमगा जीत इतिहास रच डाला था. भारतीय खेल जगत में यह ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल था. बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल में यह गोल्ड जीता था.
टेस्ट में बने 'बेस्ट'
टीम इंडिया के कैप्टन कूल ने वनडे और टी-20 में अपनी कप्तानी का लोहा तो मनवाया ही साथ ही टेस्ट में भी टीम को टॉप तक लेकर गए. धोनी की कप्तानी में टीम दिसंबर 2009 में टेस्ट में टॉप टीम बन गई थी. धोनी को तब आईसीसी गदा दिया गया था.
2011 वर्ल्ड कप में 'छक्का'
वर्ल्ड कप 2011 का फाइनल मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया. टीम इंडिया के सामने श्रीलंका की मुश्किल चुनौती थी. धोनी की कप्तानी में भारत ने श्रीलंका को हराकर वर्ल्ड चैंपियन बन गया था. इस मैच में कप्तान धोनी ने खुद को बल्लेबाजी ऑर्डर में ऊपर उतारा और जीत में अहम भूमिका निभाई. धोनी ने छक्के की गूंज आज भी देशवासियों के काम में ताजा है.
तेंदुलकर के सैंकड़ों की सेंचुरी
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट के तमाम रिकॉर्ड्स दर्ज हैं. लेकिन उनके एक रिकॉर्ड का इंतजार पूरे देश ने बड़ी शिद्दत से किया था. तेंदुलकर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में सेंचुरी की सेंचुरी ठोकी है. 16 मार्च 2012 को तेंदुलकर के बल्ले से 100वां सैंकड़ा निकला था.
सानिया मिर्जा का 'नंबर-1' सफर
भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने वो कर दिखाया जो आज तक कोई भारतीय महिला खिलाड़ी नहीं कर सकी. वो इस समय दुनिया की नंबर-1 विमेंस डबल्स प्लेयर हैं. इसके अलावा उन्होंने मार्टिना हिंगिस के साथ मिलकर 2015 विंबलडन खिताब जीता. मिक्स्ड डबल्स और विमेंस डबल्स में सानिया मिर्जा ने देश को कई बार जश्न मनाने का मौका दिया.