सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों और मवेशियों के बढ़ते खतरे पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को व्यापक कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. अदालत ने कहा कि एमिकस (न्याय मित्र) की रिपोर्ट में जो खामियां बताई गई हैं, उन पर तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाएं और सभी दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए.
राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश दोहराए
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में राजस्थान हाई कोर्ट के अगस्त महीने में दिए गए निर्देशों को भी दोहराया है. अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), नगर निकाय और सड़क परिवहन विभाग मिलकर सभी हाइवे और एक्सप्रेसवे से मवेशियों को हटाने की संयुक्त कार्रवाई करें.
कोर्ट ने कहा कि सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर 24 घंटे सक्रिय पेट्रोल टीमें तैनात की जाएं और हेल्पलाइन नंबर प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएं ताकि किसी भी आवारा मवेशी या हादसे की तुरंत सूचना दी जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिया है कि जो मवेशी सड़कों से हटाए जाएं, उन्हें वापस सड़क पर न छोड़ा जाए, बल्कि उनके लिए गौशालाओं या पशु आश्रयों की व्यवस्था की जाए.
स्कूलों और अस्पतालों में आवारा कुत्तों पर सख्ती
अदालत ने कहा कि सभी डीएम यह सुनिश्चित करें कि स्कूल, कॉलेज, खेल परिसर, अस्पताल और सरकारी दफ्तरों की फेंसिंग हो ताकि आवारा कुत्ते वहां प्रवेश न कर सकें. इन परिसरों में नियमित निरीक्षण किए जाएं और यदि कोई आवारा कुत्ता पाया जाए, तो उसे तुरंत हटाकर शेल्टर में भेजा जाए और दोबारा उसी स्थान पर न छोड़ा जाए. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश पूरे देश में आवारा जानवरों से जुड़े हादसों और हमलों पर रोक लगाने के उद्देश्य से अहम माना जा रहा है.