राघव चड्ढा को राज्यसभा से निलंबित करने के मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमणी ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की सुनवाई टालने का आग्रह किया. रमणी ने कहा कि जब तक संसद की विशेषाधिकार की कार्यवाही पूरी न हो जाए तब तक कोर्ट सुनवाई टाल दे. सदन की कार्यवाही में कोर्ट को दखल वहीं देना चाहिए.
चड्ढा के वकील राकेश द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फुलकोर्ट फैसले का उल्लेख करते हुए उसमे सदन के विशेषाधिकार की बात मानने की बात कही. क्योंकि संविधान का 44 वां संशोधन भी यही कहता है कि जो विशेषाधिकार हाउस ऑफ कॉमन्स में ब्रिटिश सांसद के हैं वही भारतीय संसद में किसी सांसद के हैं.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदी वाला और जड़ी मनोज मिश्र की पीठ ने कहा कि कोर्ट में यहां राघव चड्ढा माफी मांग लें. शीत सत्र के पहले दिन चड्ढा पूरे सदन से अपने किए पर माफी मांगेंगे.
कोई सांसद सदन की सीजेआई ने कहा कि कोई सदस्य कार्यवाही में खलल डाले तो उसे पूरे सत्र तक निलंबित किया जा सकता है? लेकिन अनंत काल तक कैसे? क्योंकि अब तक ये भी स्पष्ट नहीं है कि विशेषाधिकार समिति कब तक निर्णय लेगी?
अटॉर्नी जनरल रमणी ने कहा कि वो कोर्ट के सवालों के जवान देने के लिए कुछ मोहलत चाहते हैं. राघव चड्ढा के निलंबन के मुकदमे की सुनवाई अब शुक्रवार को होगी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आखिर इसमें किस नियम के तहत सुनवाई होगी, क्योंकि चड्ढा के निलंबन का प्रस्ताव तो पूरे सदन ने पारित किया था. ये सभापति का आदेश नहीं है. लेकिन सीजेआई ने कहा कि एक अनुपात एक तो होना ही चाहिए. संविधान के तीसरे भाग में भी सीमा और मर्यादाओं का उल्लेख है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मैं इन सवालों के जवाब दूंगा लेकिन इसके लिए कुछ समय चाहूंगा.