देश में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की कवायद को धार देने में जुटी सरकार की ओर से गठित हाई लेवल कमेटी की बैठक सोमवार को होगी.बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं. समिति सोमवार की बैठक में गठन के समय से अब तक हुई प्रगति की समीक्षा करेगी, इसके साथ ही अलावा देश की राजनीतिक पार्टियों की तरफ से दिए गए जवाब पर भी विचार करेगी.
सूत्रों के मुताबिक "अनौपचारिक" बैठक के लिए कोई लिखित एजेंडा अभी सामने नहीं रखा गया है, लेकिन इसमें राजनीतिक दलों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं पर चर्चा हो सकती है. समिति ने अपनी पहली बैठक में राजनीतिक दलों की राय जानने का फैसला किया था. पैनल ने हाल ही में पार्टियों को पत्र लिखकर उनके विचार मांगे थे और "परस्पर सहमत तारीख" पर बातचीत की मांग की थी. बाद में इसने पार्टियों को उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए एक रिमाइंडर भेजा था.
छह राष्ट्रीय पार्टियों, 33 राज्य पार्टियों और सात पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों को पत्र भेजकर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर उनके सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. समिति ने एक साथ चुनाव कराने पर विधि आयोग के विचार भी सुने हैं. इस मुद्दे पर दोबारा लॉ पैनल को बुलाया जा सकता है.
बता दें कि एक्सपर्ट की राय में, वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए संविधान संशोधन जरूरी होगा. संविधान के अनुच्छेद 83, 172 और 356 के प्रावधानों में संशोधन के बिना लोकसभा और राज्यों का विधानसभा चुनाव एक साथ कराया जाना संभव नहीं है. संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक, अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन करना होगा जिसमें ये कहा गया है कि सदन का कार्यकाल पांच साल का होगा. इनमें ये भी कहा गया है कि इस अवधि के पहले सदन को भंग करना होगा.