कोरोना काल में डॉक्टरों पर कई मौकों पर हमला किया गया है. मरीज की मौत हुई तो डॉक्टरों को निशाना बनाया, अस्पताल में बेड नहीं मिला तो भी डॉक्टरों पर हमला हुआ, सिर्फ कारण बदले लेकिन कई बार डॉक्टरों को लोगों के बेवजह गुस्से का शिकार बनना पड़ा. अब देश के चीफ जस्टिस एन वी रमना ने भी इस ट्रेंड पर नाराजगी जताई है और कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं.
डॉक्टर्स डे के पर्व पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई ने देश के सामने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने डॉक्टरों पर हो रहे हमलों पर भी चिंता जाहिर की. उन्होंने पूछा- आखिर दूसरों की विफलता के लिए डॉक्टर को निशाना क्यों बनाया जाता है? क्यों ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों पर अक्सर हमले होते हैं?
CJI ने दिखाया सरकार को आईना
अब एक तरफ सीजेआई की तरफ से डॉक्टरों के पक्ष में बातचीत की गई तो दूसरे बयान में उन्होंने सरकार को भी आईना दिखाने का प्रयास किया. उनकी तरफ से कहा गया कि सरकार दवा और आधुनिक तकनीक पर ज्यादा प्राथमिकता नहीं दे रही. उनकी नजरों में देश का स्वास्थ्य क्षेत्र मेडिकल प्रोफेशनल, संसाधन, दवा और आधुनिक तकनीक की कमी से ग्रस्त है.
मेडिकल क्षेत्र में मुनाफाखोरी पर बयान
उनकी तरफ से मेडिकल क्षेत्र में हो रही मुनाफाखोरी पर भी बात की गई है. यहां भी सवाल के जरिए वे बड़ी बात कह गए हैं. सीजेआई ने सवाल पूछा है कि कॉरपोरेट की मुनाफाखोरी की जवाबदेही डॉक्टरों पर क्यों डाल दी जाती है? इस सब के अलावा डॉक्टरों के कम वेतन पर भी सीजेआई ने दुख जाहिर किया है. वे कहते हैं कि यह दुखद है कि एक योग्य डॉक्टर खुद हॉस्पिटल शुरू कर पाने में खुद को सक्षम नहीं पाता. 8-9 साल तक मेहनत से पढ़ाई करने के बाद उसे एक अच्छा वेतन पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
डॉक्टरों के योगदान की तारीफ
चीफ जस्टिस एन वी रमना की तरफ से ये जरूरी सवाल तो उठाए ही गए, इसके अलावा उन्होंने डॉक्टरों की सक्रिय भूमिका की भी तारीफ की. उन्होंने जोर देकर कहा कि कोरोना काल में देश के असल सुपरहीरो ये डॉक्टर रहे हैं. उनकी नजरों में डॉक्टरों के कंधों पर सुपरहीरो वाला कपड़ा नहीं लटका, लेकिन वे असल हीरो हैं. जस्टिस रमना ने कहा कि वह हृदय से उन डॉक्टरों और मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए प्रार्थना कर रहे हैं जिन्होंने लोगों की सेवा करते हुए अपनी जान दी. उनके परिवार के साथ उन्हें गहरी सहानुभूति है.