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दिव्यांग छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज में दिक्कतों को लेकर PIL पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

याचिकाकर्ता जावेद आबिदी की ओर से उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समिति बनाना तो उचित है लेकिन पीड़ित छात्रों की ओर से उसमें कम से कम एक नुमाइंदा तो होना चाहिए जो अपनी और साथी दिव्यांगो को होने वाली परेशानियों के बारे में अपने अनुभव समिति के सामने रख सकें.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑनलाइन शिक्षा में दिव्यांग छात्रों को होती है परेशानी
  • 18 अप्रैल को रखी गई अगली सुनवाई

दिव्यांग छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज करने में हो रही दिक्कतें दूर करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऑनलाइन शिक्षा में छात्रों को आने वाली परेशानियों की इस बाबत अध्ययन करने और उपाय सुझाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है. 

इसके बाद याचिकाकर्ता जावेद आबिदी की ओर से उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समिति बनाना तो उचित है लेकिन पीड़ित छात्रों की ओर से उसमें कम से कम एक नुमाइंदा तो होना चाहिए जो अपनी और साथी दिव्यांगो को होने वाली परेशानियों के बारे में अपने अनुभव समिति के सामने रख सकें. ताकि उनका व्यवहारिक समाधान निकल सके. इससे समिति की सिफारिशें हकीकत के अधिक निकट होंगी और सर्वमान्य व असरदार भी होंगी. लिहाजा अदालत सरकार से कहे कि एक ऐसा दिव्यांग सदस्य समिति में अवश्य हो जो तकनीकी दक्षता भी रखता हो. 

कोर्ट ने कहा कि वैसे ये सुझाव विचार करने लायक और उपयुक्त है. सरकार के सक्षम प्राधिकरण इस पर विचार कर सकते हैं. तब तक याचिकाकर्ता विशेषज्ञ समिति के सामने अपनी बात रख सकते हैं. समिति अपने निर्णय से पहले उन तथ्यों पर भी विचार कर सिफारिशों में शामिल करे जो दिव्यांग छात्रों की ओर से सुझाए गए हों. कोर्ट ने ये सब करने के लिए समिति को तीन महीने का समय दिया. अगली सुनवाई 18 अप्रैल को रखी गई है.

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