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कोरोना ग्रसित मरीज की सोचने की क्षमता हो सकती है प्रभावित: स्टडी

EClinicalMedicine में छपी इस रिसर्च के मुताबिक कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीजों में कई तरह के लक्षण रह सकते हैं. उसमें भी उनकी सोचने की क्षमता ज्यादा प्रभावित हो सकती है.

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कोरोना ग्रसित मरीज की सोचने की क्षमता हो सकती है प्रभावित
कोरोना ग्रसित मरीज की सोचने की क्षमता हो सकती है प्रभावित
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोरोना पर नई स्टडी आई सामने
  • सोचने की क्षमता हो सकती है प्रभावित

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही का मंजर दिखाया है. इस एक वायरस ने कई लोगों की जान ली है तो कई इससे बुरी तरह प्रभावित दिख रहे हैं. अभी भी वैज्ञानिक इस बात पर रिसर्च कर रहे हैं कि कोरोना का इंसान पर कितना और किस स्तर पर असर पड़ सकता है. इसी कड़ी में अब एक नई स्टडी में कोरोना को लेकर बड़ा दावा किया गया है. बताया गया है कि कोरोना ग्रसित मरीज की सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स कमजोर हो सकते हैं.

कोरोना पर नई स्टडी

EClinicalMedicine में छपी इस रिसर्च के मुताबिक कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीजों में कई तरह के लक्षण रह सकते हैं. उसमें भी उनकी सोचने की क्षमता ज्यादा प्रभावित हो सकती है. वहीं पहले की तुलना में शायद उनकी एकाग्रता भी कमजोर पड़ जाए. ये दावे 80 हजार लोगों पर टेस्ट करने के बाद किए गए हैं. सभी को ऑनलाइन टेस्ट करवाया गया, जो मरीज कोरोना से ज्यादा गंभीर रूप से पीड़ित रहे, वो उस टेस्ट में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाए. प्रॉब्लम सॉलविंग टास्क में तो उनकी कमजोरी साफ देखी गई.

स्टडी में ये भी बताया गया कि जिन मरीजों को कोरोना के दौरान वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी थी, उनकी सोचनी की क्षमता दूसरे कोविड मरीजों की तुलना में ज्यादा प्रभावित हुई. इस स्टडी के बारे में लेखक Adam Hampshire बताते हैं कि हमारी स्टडी के जरिए कोरोना के दिमाग पर होने वाले असर पर गहरा शोध किया गया है. समझने की कोशिश रही है कि कोरोना का दिमाग पर कितना और किस तरह से असर पड़ता है. लेखक ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अभी स्टडी में जो भी रिजल्ट सामने आया है, उस पर ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है.

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कोरोना का दिमाग पर क्या असर?

वैसे जानकारी ये भी दी गई है कि जिन 81,337 लोगों पर ये टेस्ट किया गया था, उनमें से 12,689  लोगों को शक था कि वे कोविड से ग्रसित हो चुके हैं. इसमें भी कई लोग ऐसे रहे जिन्हें सांस संबंधी दिक्कतें रही, वहीं कुछ ऐसे भी रहे जो घर पर रहकर भी ठीक हो गए. बताया ये भी गया कि 200 लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत रही, वहीं कुछ को मैकेनिकल वेंटिलेशन का भी सहारा लेना पड़ा. ऐसे में स्टडी के परिणाम भी काफी अलग रहे हैं. कुछ लोगों की सोचना की क्षमता पर ज्यादा असर पड़ा तो वहीं कुछ दूसरों की तुलना में बेहतर कर रहे हैं.

स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि कोरोना की वजह से सोचने के भी हर पहलू पर असर नहीं पड़ा है. अगर प्रॉब्लम सॉल्विंग में दिक्कतें शुरू हुईं हैं तो याददाश्त मजबूत रही है.

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