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'सर नहीं, मुझे ब्रो कहो...', जब Gen Z से मिले राहुल गांधी, Video

राहुल गांधी इन दिनों जेन-ज़ी अंदाज़ में युवाओं से जुड़ने की नई पहल कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में वे जेन-ज़ी के एक समूह के साथ बैठकर बातचीत करते दिखे, जहां उन्होंने कहा - “मुझे सर मत कहो, बोलो ब्रो.” बातचीत में उन्होंने शिक्षा, राजनीति और ईमानदारी जैसे मुद्दों पर हल्के-फुल्के अंदाज़ में चर्चा की.

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जेन-ज़ी संग राहुल गांधी की बातचीत वायरल (Photo: Youtube/ Rahul Gandhi)
जेन-ज़ी संग राहुल गांधी की बातचीत वायरल (Photo: Youtube/ Rahul Gandhi)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों बिल्कुल नई पीढ़ी यानी जेन-ज़ी के मूड में नजर आ रहे हैं. वह युवाओं की भाषा में बात कर रहे हैं, उनके साथ समय बिता रहे हैं, और राजनीति की गंभीर बातें भी थोड़ा हल्के, मस्ती भरे अंदाज़ में समझा रहे हैं. 

उनका सोशल मीडिया पर आया उनका एक वीडियो खास चर्चा में है - जिसमें वो जेन-ज़ी के एक ग्रुप के साथ बैठकर बातचीत करते दिख रहे हैं. इस दौरान उन्होंने मज़ाक-मज़ाक में ऐसा कहा, “मुझे ‘सर’ मत कहो, बोलो ‘ब्रो’.”

इस बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने शिक्षा, स्वास्थ्य, ईमानदारी और राजनीति में लोगों के हित जैसे मुद्दों पर बात की. उन्होंने युवाओं से कहा कि राजनीति सिर्फ वोट बैंक के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि लोगों के भले के लिए होनी चाहिए. 

उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में 18 साल से कम उम्र के वोटर्स का बड़ा रोल होगा, और उन्हें शुरुआत से ही राजनीति को ईमानदारी और समझदारी से देखना चाहिए.

राहुल गांधी ने खास तौर पर बिहार का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के चुनाव देश के भविष्य की दिशा तय करेंगे. क्योंकि बिहार जैसे राज्यों में शिक्षा और अस्पताल की हालात देश की असली तस्वीर दिखाते हैं.

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जब राहुल गांधी ने सीखी जेन-ज़ी की स्लैंग

इस इंटरैक्शन का सबसे मजेदार हिस्सा तब आया जब राहुल गांधी ने खुद जेन-ज़ी की भाषा सीखनी शुरू की. एक छात्र ने उनसे पूछा, "सर, कैप का मतलब पता है?" राहुल हंसे और बोले, "कैप? यानि झूठ बोलना, है ना?" सबने कहा, "हां, बिल्कुल. नो कैप!" राहुल मुस्कराए और बोले, "समझ गया ब्रो, मैं तो जल्दी सीख रहा हूं!"

इसके बाद बातचीत ‘रिज़’ और ‘कुकी’ जैसे स्लैंग पर पहुंची. एक युवा ने बताया, “‘रिज़’ मतलब आपका चार्म या पर्सनालिटी - जो लोगों को आपकी ओर खींच ले.” राहुल ने तुरंत जवाब दिया, “तो मुझे अब राजनीतिक ‘रिज़’ चाहिए?” सब हंसने लगे. फिर किसी ने कहा, “‘कुकी’ का मतलब होता है, किसी के क़रीब होना.” तो राहुल बोले, “अच्छा, तो मैं तो ‘कुकी’ हूं फिर.”

यह भी पढ़ें: हरियाणा का एक घर और 501 वोटर... राहुल गांधी के दावे से सियासी हलचल का केंद्र बना ‘हाउस नंबर 265’

जब युवाओं ने पूछा, “सर, आपको क्या बुलाएं?” तो उन्होंने कहा, “कुछ मजेदार सा बोलो.” सब बोले, “ब्रो चलेगा.” राहुल ने हंसते हुए कहा, “ठीक है, अब से मुझे ब्रो बोलो.”

जेन-ज़ी तक पहुंचने की नई कोशिश

राहुल गांधी का यह नया अंदाज़ सिर्फ एक हल्की-फुल्की बातचीत नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी पहल है. कांग्रेस नेता अब सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और युवाओं से जुड़ने की रणनीति बना रहे हैं. जेन-ज़ी यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, जो इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा मौजूद है, आने वाले चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है.

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पिछले साल राहुल गांधी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी छात्रों से ऐसी ही मुलाकात की थी, जिसे उन्होंने “लंच पर गपशप विद जेन-ज़ी” कहा था. उस वक्त भी उन्होंने गंभीर मुद्दों को बहुत हल्के और दोस्ताना अंदाज़ में पेश किया था.

राहुल गांधी की यह कोशिश बताती है कि वह अब राजनीति को नए जमाने की भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं - जहां स्लैंग, मीम्स और फ्रेंडली टोन आज की सबसे बड़ी ताकत है. और शायद यही उनका “पॉलिटिकल रिज़” है – लोगों से जुड़ने का नया तरीका, ब्रो स्टाइल में!

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